इतालवी मरीन मामला: मछुआरों के परिवारों को मिलने वाले मुआवजे की रकम जमा नहीं होने पर सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार को फटकार, एक हफ्ते के लिए सुनवाई टाली 
नई दिल्ली, 19 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में केरल के दो मछुआरों को अपराधी समझ कर मार देने वाले इटली के दो नौसैनिकों पर भारत में चल रहे मुकदमे को बंद करने की केंद्र की मांग पर सुनवाई एक हफ्ते के लिए टाल दिया है। कोर्ट ने मछुआरों के परिवारों को मुआवजे के लिए दस करोड़ रुपये जमा ना होने पर सुनवाई टाली है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप पिछले हफ्ते हड़बड़ी में थे लेकिन हमें पता है कि मंत्रालय कैसे काम करते हैं।
सुनवाई के दौरान पिछले 9 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल के आदेश के मुताबिक इटली 10 करोड़ रु मुआवजा दे रहा है। 7 अगस्त, 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो 2012 में केरल के 2 मछुआरों को दस्यु समझ कर मार देने वाले इटली के नौसैनिकों के खिलाफ केस पीड़ितों के परिवार के सदस्यों की बात सुनने के बाद ही बंद करेगा। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वो पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा देना सुनिश्चित करे।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि केंद्र सरकार ने हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल के आदेश को स्वीकार करने का फैसला किया है। इस पर केरल सरकार की ओर से वकील आदित्य वर्मा ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल के आदेश और सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश में विरोधाभास है। उन्होंने कहा था कि जब तक घरेलू कानून में बदलाव नहीं किया जाएगा तब तक अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्युनल के फैसले को लागू नहीं किया जा सकता है। तब कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वो केस को बंद करने के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट में क्यों आई। ट्रायल कोर्ट में पीड़ितों के परिवार के सदस्य भी पक्षकार हैं। सुप्रीम कोर्ट में तो वे पक्षकार भी नहीं हैं।
केंद्र सरकार ने 3 जुलाई, 2020 को सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो लंबित मामला बंद कर दे। केंद्र ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ने कहा है कि भारत को इटली से हर्जाना वसूलने का हक है लेकिन नौसैनिकों पर मुकदमा इटली में चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पहले इटली के दोनों मरीन को इटली रहने की इजाजत दे दी थी। दोनों पर आरोप है कि वर्ष 2012 में भारतीय समुद्री सीमा में केरल के मछुआरों को गोली मारकर हत्या कर दी जबकि इन मरीन्स का कहना है कि उन्होंने मछुआरों को समुद्री डाकू समझकर गोली चलाई थी।

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