गोेपेश्वर, 17 अप्रैल (हि.स.)। चमोली जिले वनाग्नि की घटनाओं पर अब फायर एस्टिगंविसर बाल से काबू पाया जाएगा। केदानाथ वन प्रभाग की ओर से यह दावा किया गया है। विभाग द्वारा जिले में वानाग्नि की रोकथाम के लिये ट्रायल के तौर पर 10 फायर एस्टिंगविसर बाल क्रय की गई हैं। ये बाल आग के सम्पर्क में आने पर स्वयं ही संचालित हो जाती है और बाल से निकलने वाले केमिकल से 80 वर्ग फुट में लगी आग को नियंत्रित की जा सकती है।
केदारनाथ वन प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर ने बताया कि वनाग्नि को रोकने की नई तकनीक में शामिल फायर एस्टिंगविसर बाल को ट्रायल के लिये क्रय किया गया है। उन्होंने बताया कि बाल सामन्य तापमान अथवा हिलने -डुलने पर सक्रिय नहीं होती है। बाल अधिक तापमान मिलने पर तीन से पांच मिनट के भीतर स्वतः सक्रिय होती है। सक्रिय होने पर गेंद में लगा 138 डेसीबल का अलार्म बजने के साथ केमिकल आसपास फैल जाता है जिससे 80 वर्ग फुट क्षेत्र में लगी आग बुझ जाती है। उन्होंने बताया कि गेंद में उपयोग किया गया केमिकल शत प्रतिशत ईको-फ्रेंडली और बायो-डिग्रेडेबल है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं में चमोली जिले में अक्सर चट्टानी हिस्से में आग लगने पर काबू करना कठिन हो जाता है। ऐसे में वनकर्मियों की सुरक्षा के साथ ही फायर एस्टिंगविसर बाल के प्रयोग से चट्टानी हिस्सों पर आसानी से आग पर काबू किया जा सकता है।
2021-04-17