कैट ने वित्त मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजा पत्र
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (हि.स.)। देशभर में कोविड-19 की वजह से फैलने वाली महामारी एक बार फिर तेजी से पांव पसार रही है। इसको देखते हुए कई राज्यों ने आंशिक तौर पर कोरोना लॉकडाउन की घोषणा कर दी है। कुछ और राज्यों ने कहा है कि हालात नहीं सुधरे तो लॉकडाउन लगाना पड़ेगा। ऐसे में कारोबारियों के संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है कि लॉकडाउन की स्थिति में कारोबारियों को नुकसान होता है, इसलिए सरकार उन्हें भी मुआवजा दे।
वित्त मंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों भेजा पत्र
कैट ने मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन एवं सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इस संबंध में एक पत्र भेजा है। इस पत्र के माध्याम से कारोबारी संगठन ने ये मांग की है कि कोरोना महामारी से बचाव के लिए यदि कोई राज्य लॉकडाउन की घोषणा करता है तो सरकार को उन सभी व्यापारियों को उचित मुआवज़ा देने का प्रावधान अवश्य करना चाहिए। कैट का कहना है कि यह मुआवजा वह सरकार देगी, जिनके आदेश पर दुकानें बंद होंगी।
कारोबारियों का मुआवजा लेने का बनता है हक
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि सरकार के आदेश पर किए गए लॉकडाउन की वजह से बंद हुए खुदरा एवं थोक व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के कारोबारियों को सरकार से मुआवज़ा लेने का हक़ बनता है। खंडेलवाल ने मुआवजा देने के फॉर्मूले का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि जिस दुकान और कारोबार का सालाना टर्नओवर है, उसके अनुपात में सरकार को ऐसे व्यापारियों को मुआवज़ा देना चाहिए।
खंडेलवाल ने कहा कि देशभर में प्रति वर्ष लगभग 80 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इस हिसाब से हर महीने करीब 6.5 लाख करोड़ रुपये का व्यापार होता है। कैट महामंत्री ने कहा कि अकेले महाराष्ट्र का मासिक कारोबार लगभग 1 लाख करोड़ रुपये तथा दिल्ली का मासिक कारोबार करीब 20 हजार करोड़ रुपये का होता है। ऐसे में सरकार जहां लॉकडाउन लगाती है तो उस हिसाब से कारोबारियों को मुआवजा दे।
पिछले लॉकडाउन में बढ़चढ़ कर लिया था हिस्सा
खंडेलवाल का कहना है कि पिछले लॉकडाउन के दौरान व्यापारियों ने न सिर्फ अपनी दुकानें बंद कीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर कोरोना महामारी के भीषण वक्त में भी अपनी जान की परवाह न करते हुए पूरे देश में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई को निर्बाध रूप से जारी रखा। इसकी वजह से देशभर के कारोबारियों को अपने व्यापार में बड़ा नुक़सान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि इसकी भरपाई आज तक नहीं हुई है। कैट महामंत्री का कहना है कि केंद्र सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में विभिन्न वर्गों के लिए अनेक प्रोत्साहन पैकेज दिए। इसके बावजूद व्यापारियों को किसी भी पैकेज में एक रुपये की भी सहायता नहीं दी गई, जिसकी वजह से व्यापारी वर्ग आज तक वित्तीय तरलता के बड़े संकट का सामना कर रहा है।