अगरतला, 16 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट के 1 सितंबर को दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। इस फैसले में कहा गया है कि जिन वरिष्ठ शिक्षकों की सेवा अवधि पाँच साल से ज़्यादा है, उन्हें अगले दो साल के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करनी होगी, वरना उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति का सामना करना पड़ेगा। साथ ही, जिन शिक्षकों की सेवा अवधि पाँच साल से कम है, उनके लिए पदोन्नति के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके विरोध में, शिक्षक संघ टीजीटीए ने 18 अक्टूबर को शिक्षा भवन कूच का आह्वान किया है।
आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, शिक्षक संघ टीजीटीए के नेताओं ने कहा,
अगर यह फैसला लागू होता है, तो 23 अगस्त, 2010 से पहले नियुक्त लगभग 25 लाख शिक्षकों की नौकरी सीधे तौर पर चली जाएगी। विशेषज्ञों के साथ-साथ शिक्षक समुदाय भी देश की शिक्षा व्यवस्था में आने वाली अराजकता को लेकर बेहद चिंतित हैं। अल्पसंख्यक और गैर-अल्पसंख्यक संस्थानों में टीईटी अनिवार्य है या नहीं, इस पर बॉम्बे और मद्रास उच्च न्यायालयों द्वारा अलग-अलग फैसले दिए जाने के बाद सर्वोच्च न्यायालय में कई दीवानी अपीलें दायर की गईं। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी मामलों की एक साथ सुनवाई के बाद यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
उन्होंने यह भी बताया कि फैसले के तुरंत बाद, स्कूल टीचर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसटीएफआई) ने एक पुनर्विचार याचिका दायर की और केंद्र व राज्य सरकारों से फैसले पर तुरंत पुनर्विचार करने का आग्रह किया। केरल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश पहले ही सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिकाएँ दायर कर चुके हैं। इस संवेदनशील मुद्दे पर राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। शिक्षक संगठन टीजीटीए (एचबी रोड) ने राज्य शिक्षा निदेशक से मिलने का अनुरोध किया, लेकिन शिक्षा विभाग ने समय नहीं दिया।
संघ का दावा है कि राज्य सरकार ने त्रिपुरा में शिक्षकों की नियुक्ति से संबंधित एक मामले में सर्वोच्च न्यायालय में अपील की और 1 सितंबर के फैसले का हवाला देते हुए नियुक्ति रद्द करने की याचिका दायर की। परिणामस्वरूप, सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। संघ ने अपनी राय व्यक्त की है कि यह स्थिति किसी भी तरह से स्वीकार्य नहीं है। पूरे हालात को ध्यान में रखते हुए टीजीटीए (एच बी रोड) ने 18 अक्टूबर को शाम 4 बजे से ‘शिक्षा भवन अभियान’ कार्यक्रम का आयोजन किया है। कार्यक्रम की मुख्य मांग है कि राज्य सरकार तुरंत सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करे और केंद्र सरकार अनुभवी शिक्षकों की नौकरी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अध्यादेश जारी करे।
