नईदिल्ली, ९ अक्टूबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश की डिजिटल व्यवस्था नवाचार और समावेशन के लिए वैश्विक मानक स्थापित कर रही है। मुंबई में आज ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 को संबोधित करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण के कारण भारत तकनीकी रूप से सबसे अधिक समावेशी समाजों में से एक है। उन्होंने कहा कि देश में हर महीने यूपीआई के माध्यम से 25 लाख करोड़ रुपये के 20 अरब लेनदेन हो रहे हैं।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा कि ब्रिटेन और भारत स्वाभाविक साझेदार हैं और फिनटेक के क्षेत्र में अग्रणी हैं। उन्होंने कहा कि भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के सकल घरेलू उत्पाद को बढ़ावा देगा। उन्होंने इस समझौते को दोनों देशों के लिए एक बड़ी जीत बताया।
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ मुख्य कार्यकारी अधिकारी मंच को संबोधित किया। श्री मोदी ने कहा कि इस वर्ष वैश्विक अनिश्चितता के बीच भारत-ब्रिटेन संबंध मजबूत हुए हैं। उन्होंने कहा कि दूरसंचार, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, जैव प्रौद्योगिकी, क्वांटम, सेमीकंडक्टर, साइबर और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग की नई संभावनाएँ उभर रही हैं।
इससे पहले, श्री मोदी और श्री कीर स्टारमर ने प्रौद्योगिकी, रक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, सतत विकास, नवीकरणीय ऊर्जा और अन्य विषयों पर व्यापक चर्चा की। दोनों नेताओं के बीच मुंबई में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी हुई।
मुंबई में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता में श्री मोदी ने कहा कि दोनों देश वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते के महत्व के बारे में श्री मोदी ने कहा कि इससे युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और दोनों देशों के बीच व्यापार का विस्तार होगा। उन्होंने कहा कि भारत में व्यापार प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति ने इस यात्रा को और भी विशेष बना दिया है। इसने भारत-ब्रिटेन संबंधों की मजबूत संभावनाओं को दर्शाया है।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा कि भारत और ब्रिटेन भविष्य पर केंद्रित एक आधुनिक साझेदारी का निर्माण कर रहे हैं। भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते को एक महत्वपूर्ण क्षण बताते हुए, श्री स्टारमर ने कहा कि शुल्क में कटौती और एक-दूसरे के बाजारों तक पहुँच बढ़ाने से विकास को गति मिलेगी और रोज़गार के अवसर पैदा होंगे।
