काशी विश्वनाथ कॉरिडोर: दो साल में 13 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु आए, 900 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट, आय 3000 करोड़ रुपए

वाराणसी में धार्मिक पर्यटन पूरे देश में अग्रणी है

संदीप बिस्वास

वाराणसी, 18 जनवरी। देश के एक प्राचीन शहर वाराणसी में जाकर ही धार्मिक पर्यटन को असल मे समझा जा सकता है। प्रधानमंत्री के सपनों का परियोजना काशी विश्वनाथ कॉरिडोर ने देश के उस प्राचीन शहर के सामाजिक और आर्थिक उत्थान में प्रमुख भूमिका निभाई है। केवल 2 वर्षों में 13 करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों ने काशी धाम का दौरा किया और विश्वनाथ के चरणों में अपना सिर झुकाया। काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण पर 900 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। महज दो साल में वहां 3000 करोड़ की कमाई हो चुकी है। मूल रूप से, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को धार्मिक रीति-रिवाजों और विचारधाराओं को बनाए रखते हुए आध्यात्मिकता के साथ आधुनिकता के मिश्रण से विकसित किया गया है।

वाराणसी मंडल के कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बारे में जानकारी दी। उनके अनुसार, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री पद संभालने के बाद से शुरू की गई कई परियोजनाओं में से एक थी। पिछले कुछ वर्षों में मंदिर के पास का पूरा क्षेत्र धीरे-धीरे बदल गया है। पिछले पांच वर्षों में, वाराणसी शहर में बड़े पैमाने पर विकास हुआ है, केवल मंदिरों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। स्वाभाविक रूप से, इससे इस प्राचीन शहर की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में सुधार हुआ। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप वाराणसी को सजाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पहले काशी विश्वनाथ मंदिर 3000 वर्ग फीट क्षेत्र में फैला हुआ था। पहले यह बहुत गंदा होने के कारण तीर्थयात्रियों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। लेकिन, अब तीर्थयात्री काशी विश्वनाथ के दर्शन अच्छे से कर सकेंगे। क्योंकि, यह नवनिर्मित कॉरिडोर 5 लाख वर्ग फीट क्षेत्र में विकसित किया गया है। जिसे पहले से भी ज्यादा अच्छे से सजाया गया है और रोजाना बड़ी साफ-सफाई के साथ व्यवस्थित किया जा रहा है। उनके मुताबिक, मंदिर के आसपास केंद्रित स्थानीय लोगों की आर्थिक समृद्धि का सबसे अच्छा उदाहरण काशी विश्वनाथ कॉरिडोर जाकर ही समझा जा सकता है। धार्मिक मानसिकता बनाए रखने के साथ-साथ अब स्थानीय लोगों के लिए कमाई के भी कई रास्ते खुल गए हैं।

कौशल राज शर्मा के मुताबिक, इस काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण में 900 करोड़ रुपये की लागत आई है। उसकी तुलना में महज दो साल में 3000 करोड़ की आय हुई है। इसका लाभ वाराणसी की पूरी जनता को मिल रहा है। उनका दावा है कि धार्मिक पर्यटन काशी के पुराने गौरव को वापस लाने का वादा करता है। दुनिया का सबसे पुराना शहर दशकों से उपेक्षित रहा है। बहरहाल, प्रधानमंत्री के सपनों की इस परियोजना की मदद से वाराणसी समग्र विकास के शिखर पर पहुंचने जा रहा है। क्योंकि, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के आसपास धार्मिक पर्यटन काफी बढ़ गया है।

उनके मुताबिक, बेहतर यातायात व्यवस्था के परिणामस्वरूप अयोध्या, वाराणसी और प्रयागराज के आसपास धार्मिक मंडल बन रहे हैं। 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन के बाद धार्मिक पर्यटन को अतिरिक्त आयाम मिलेगा। क्योंकि उत्तर प्रदेश में कदम रखते ही देशी-विदेशी पर्यटक उन तीन जगहों पर आसानी से जा सकते हैं।

उन्होंने दावा किया कि काशी विश्वनाथ धाम के दर्शन के लिए हर साल देश-विदेश से साढ़े सात करोड़ लोग वाराणसी आते हैं। दो साल में 13 करोड़ तीर्थयात्रियों ने इस शहर में कदम रखा है। मंदिर समिति के रिकार्ड के मुताबिक प्रतिदिन औसतन 1 लाख 20 हजार श्रद्धालु काशी विश्वनाथ के चरणों में शीश नवाते हैं। एक दशक पहले यह संख्या लगभग बीस हजार थी। उन्होंने कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों सहित दक्षिण पूर्व एशिया से कई पर्यटकों ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का दौरा किया है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों की बड़ी संख्या को देखते हुए जल-थल-वायु मार्ग से यातायात की मजबूत व्यवस्था की जा रही है।

संयोग से, केंद्र सरकार ने पूरे देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष पहल की है। हालाँकि, धार्मिक पर्यटन का ज्वलंत उदाहरण केवल वाराणसी की यात्रा पर ही देखा जा सकता है। इस लिहाज से वाराणसी पूरे देश में धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से विशेष आकर्षण के केंद्र के रूप में जाना जा रहा है। माना जा रहा है कि देश के इस सबसे पुराने शहर को देखकर देश के विभिन्न राज्य पर्यटन के विकास में नए सिरे से सोचना शुरू करेंगे।

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