मुंबई, 23 सितंबर (हि.स.)। बांबे हाईकोर्ट के दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि शिवाजी पार्क मैदान में ही शिवसेना की दशहरा रैली होगी। हाई कोर्ट ने इस रैली के मुंबई के दादर स्थित मशहूर शिवाजी पार्क मैदान को 2 अक्टूबर से 6 अक्टूबर तक शिवसेना को देने का भी आदेश दिया है। साथ ही हाई कोर्ट ने शिंदे समूह की इस मामले में दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है।
शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के लिए अनुमति दिए जाने के लिए शिवसेना सचिव अनिल देसाई और पूर्व मंत्री अनिल परब ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका की सुनवाई शुक्रवार को न्यायाधीश आर.डी. धानुका और न्यायाधीश कमल खाता के समक्ष हुई। शिवसेना के वकील अस्पी चिनाय ने कोर्ट को बताया कि आवेदक की ओर से 22 अगस्त और 26 अगस्त को शिवाजी पार्क मैदान में दशहरा रैली की अनुमति के लिए आवेदन दिया गया था, जिसे मुंबई नगर निगम ने नामंजूर कर दिया है। चिनाय ने कहा कि शिवसेना 1967 से इसी मैदान पर लगातार दशहरा रैली करती आ रही है, पिछले दो साल कोरोना की वजह से दशहरा रैली नहीं हो सकी थी। इस वर्ष मुंबई नगर निगम ने प्रथा और परंपरा को ताक रखते हुए शिवसेना का आवेदन नामंजूर कर दिया है। चिनाय ने कहा कि शिंदे समूह को बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स के मैदान में दशहरा रैली के लिए अनुमति मिल चुकी है।
इसके बाद मुंबई नगर निगम के वकील मिलिंद साठे ने कहा कि शिवाजी पार्क मैदान पर दशहरा रैली के लिए शिवसेना और शिंदे समूह दोनों ने अनुमति मांगी थी। पिछले दिनों प्रभादेवी इलाके में दोनों समूहों में मारपीट हुई थी, जिससे कानून व्यवस्था खराब हो गई थी। इस संबंध में पुलिस ने कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए दशहरा रैली की अनुमति न देने के लिए पत्र दिया था। साथ ही इस मैदान पर बीएमसी ने वर्ष 2012 में शिवसेना को अनुमति नहीं दी थी। मुंबई नगर निगम का ही शिवाजी मैदान है, इसलिए बीएमसी ने दोनों को दशहरा रैली की अनुमति का आवेदन नामंजूर कर दिया है।
इसके बाद शिंदे समूह के विधायक सदा सरवणकर की ओर से वकील जनक द्वारकादास ने कहा कि शिवसेना की ओर से इस मैदान पर दशहरा रैली की अनुमति मांगने वाले अनिल देसाई दादर में नहीं रहते हैं जबकि आवेदक सदा सरवणकर इसी क्षेत्र में रहते हैं और इसी क्षेत्र में उनका जनसंपर्क कार्यालय हैं। इतना ही नहीं वे इसी क्षेत्र के विधायक हैं और इससे पहले वही दशहरा रैली के लिए आवेदन करते थे। जनक द्वारका दास ने कहा कि शिवसेना में दो समूह बन गए हैं और शिवसेना किसकी, यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए शिवसेना को शिवाजी मैदान पर अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
इसके बाद हाई कोर्ट ने शिंदे समूह के वकील से कहा कि यहां मामला सिर्फ शिवाजी पार्क में दशहरा रैली के लिए अनुमति देने तक ही सीमित है न कि शिवसेना किसकी। इसी तरह बांद्रा कुर्ला काम्प्लेक्स मैदान में शिंदे समूह को अनुमति किस आधार पर मिली थी। शिंदे समूह ने कहा कि उन्होंने पहले आवेदन दिया था, इसी आधार पर अनुमति मिली। हाई कोर्ट ने कहा कि बीएमसी कानून और व्यवस्था के नाम पर दशहरा रैली की अनुमति नामंजूर नहीं कर सकती है। कोर्ट ने शिवाजी पार्क मैदान शिवसेना को 2 अक्टूबर से 6 अक्टूबर तक दिए जाने का आदेश दिया और बीएमसी और पुलिस प्रशासन को हर तरह का सहयोग करने का भी आदेश दिया है।