नई दिल्ली, 03 सितंबर (हि.स.)। दधीचि देह दान समिति के संरक्षक एवं विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने शनिवार को कहा कि देश को अगले पांच सालों में कॉर्निया नेत्रहीनता से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है। मौजूदा समय में 11 लाख लोगों को कॉर्निया की आवश्यकता है, लेकिन सिर्फ 50-55 हजार लोगों को ही कॉर्निया मिल पा रहा है। नेत्रदान को बढ़ावा देकर इस संख्या को अगले पांच सालों में बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
राजधानी में दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान पत्रकारों से बातचीत में आलोक कुमार ने कहा कि सम्मेलन में अंगदान को लेकर आ रही बाधाओं और चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई। राजधानी में दो दिवसीय सम्मेलन में 22 प्रांतों के कुल 46 से अधिक गैर सरकारी संगठन भाग ले रहे हैं। इसके साथ 20 से ज्यादा स्वास्थ्य के क्षेत्र की संस्थाएं भी इस सम्मेलन में भाग ले रही हैं।
आलोक कुमार ने बताया कि मौजूदा समय में देश के बड़े हिस्से में नेत्रदान के लिए बैंक नहीं हैं। इस संबंध में इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने की आवश्यकता है। इसके साथ सभी मेडिकल कॉलेज में अंगों को रखने का इंतजाम होना चाहिए। जिला स्तर पर अंग को रखने का प्रबंध होना चाहिए। अंग को दिए जाने में पारदर्शिता लाने के लिए एक कमेटी बनाने के साथ इसके लिए एक पोर्टल बनाया जाना चाहिए। इन सभी सुझावों को स्वास्थ्य मंत्रालय भेजा जा रहा है।
इस मौके पर मौजूद दधीचि देह दान समिति बिहार के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि देश में 85 प्रतिशत लोगों को देह दान के बारे में जानकारी ही नहीं है। इसलिए इस संबंध में साल में एक बार जागरुकता पखवाड़ा व्यापक रूप से आयोजित करने की आवश्यकता है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अंग दान के लिए आगे आएं। इस संबंध में सभी प्रांत में अंगदान को लेकर एक कमेटी का गठन किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अंग प्रत्यारोपण में भारत दुनिया में तीसरे नंबर है, लेकिन जनसंख्या के हिसाब से देखें तो इस संबंध में अभी और काम करना होगा।