नई दिल्ली, 29 मार्च (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। लेकिन राजनीतिक विरोध के चलते अगर कोई किसी को हिंसा की धमकी देकर रोकता है तो यह दूसरों के अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि हिंसा, अराजकता की मानसिकता अगर समाज में कहीं भी है तो उसका विरोध किया जाए।
प्रधानमंत्री मोदी मतुआ समुदाय के गुरु हरिचंद ठाकुर की 211वीं जयंती पर पश्चिम बंगाल के ठाकुरबाड़ी श्रीधाम में आयोजित धर्म महा मेला को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित कर रहे थे। मतुआ धर्म महा मेला का आयोजन अखिल भारतीय मतुआ महासंघ की ओर से 29 मार्च से 5 अप्रैल तक किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब हम स्वार्थ के लिए खून-खराबा होते देख रहे हैं। जब समाज को बांटने का प्रयास होता है तब भाषा और क्षेत्र के आधार पर भेद करने की प्रवृत्ति को देखते हैं। ऐसे श्रीश्री हरिचंद ठाकुरजी का दर्शन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति और सभ्यता महान हैं क्योंकि इसमें निरंतरता और प्रवाह है। यह एक नदी की तरह है, जो आगे बढ़ती रहती है। इस संस्कृति की महानता का श्रेय हरिचंद ठाकुरजी जैसे सुधारकों को दिया जा सकता है।
श्रीश्री हरिचंद ठाकुर के संदेश को आजादी के अमृतकाल में प्रेरणा का स्रोत बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने ईश्वरीय प्रेम के साथ-साथ कर्तव्यों का भी बोध कराया। परिवार और समाज के दायित्वों को निभाने पर उन्होंने विशेष बल दिया। कर्तव्यों की इसी भावना को हमें राष्ट्र के विकास का आधार बनाना है।
उन्होंने कहा कि हमारा संविधान हमें बहुत सारे अधिकार देता है लेकिन हम उन्हें तभी सुरक्षित रख सकते हैं जब हम अपने कर्तव्यों को ईंमानदारी से निभायेंगे। उन्होंने मतुआ समाज से आग्रह किया कि वे व्यवस्था से भ्रष्ट्राचार को समाप्त करने के लिए समाज के स्तर पर जागरूकता को और बढ़ायें। अगर कहीं भी किसी का उत्पीड़न हो रहा हो, तो वहां ज़रूर आवाज़ उठाएं। ये हमारा समाज के प्रति भी और राष्ट्र के प्रति भी कर्तव्य है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। लेकिन राजनीतिक विरोध के कारण अगर किसी को हिंसा से डरा-धमकाकर कोई रोकता है तो वो दूसरे के अधिकारों का हनन है। इसलिए ये हमारा कर्तव्य है कि हिंसा, अराजकता की मानसिकता अगर समाज में कहीं भी है तो उसका विरोध किया जाए।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत बांग्ला में करते हुए मेले में उपस्थित लोगों का अभिवादन करते हुए कहा कि ठाकुरबाड़ी ने हमेशा उन्हें स्नेह दिया। मतुआ परंपरा आज और समृद्ध हो रही है। यह मेला एक भारत श्रेष्ठ भारत के मूल्यों को भी सशक्त करने वाला है।
सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हरिचंद जी ने बेटियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाई। उन्होंने महिलाओं को सशक्त करने के लिए अनेक प्रयास किये। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब भारत बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के अभियान को सफल बनाता है, जब माताओं-बहनों-बेटियों के स्वच्छता, स्वास्थ्य और स्वाभिमान को सम्मान देता है, जब स्कूलों-कॉलेजों में बेटियों को अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन करते अनुभव करता है। जब समाज के हर क्षेत्र में हमारी बहनों-बेटियों को बेटों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्रनिर्माण में योगदान देते देखता है, तब लगता है कि हम सही मायने में श्री श्री हॉरिचांद ठाकुरजी जैसी महान विभूतियों का सम्मान कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि श्री श्री हरिचंद ठाकुर ने देश की आजादी से पहले के दौर में अविभाजित बंगाल में उत्पीड़ित, समाज के दबे-कुचले और बुनियादी सुविधाओं से वंचित लोगों की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। उनके द्वारा शुरू किया गया सामाजिक एवं धार्मिक आंदोलन वर्ष 1860 में ओरकांडी (अब बांग्लादेश में) से शुरू हुआ था और फिर इसकी परिणति ‘मतुआ धर्म’ की स्थापना के रूप में हुई थी।