नई दिल्ली, 08 मार्च (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि देश के सामने वर्तमान में सबसे बड़ी प्राथमिकता भारत की विकास यात्रा में महिलाओं की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करना है। इसी के चलते उनकी सरकार महिलाओं के सामने आ रही समस्याओं को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कच्छ के धोरडो स्थित महिला संत शिविर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक संगोष्ठी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस संगोष्ठी का आयोजन समाज में महिला संतों की भूमिका और महिला सशक्तिकरण में उनके योगदान को मान्यता देने के लिए किया जा रहा है। धोरडो में आयोजित इस संगोष्ठी में 500 से अधिक महिला संत शामिल हुई हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में भारत की परंपरा में महिलाओं को दिए गए स्थान और नारी शक्ति का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने अपनी सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का भी उल्लेख किया।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं को शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नारी नीति, निष्ठा, निर्णय शक्ति और नेतृत्व का प्रतिबिंब होती हैं। वेदों में परंपरा से यह आह्वान किया गया है कि नारी सक्षम हो, समर्थ हो और राष्ट्र को दिशा दे। उन्होंने कहा कि हमने ईश्वरीय सत्ता को नारी के रूप में स्थापित किया है। सीता-राम, राधे-कृष्ण और गौरी-गणेश के माध्यम से हमने नारी सत्ता को प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि देश में शायद ही कोई ऐसा गांव या क्षेत्र होगा जहां देवी और कुलदेवी का आस्था केंद्र न हो। ये देवियां इस देश की उस नारी चेतना का प्रतीक हैं, जिसने सनातन काल से हमारे समाज का सृजन किया है।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान अपनी सरकार के द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में किए गए प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश जहां धरती को माता स्वरूप देखा जाता है, वहां महिलाओं की प्रगति ही देश को मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार महिलाओं और बेटियों को उनके सपने पूरे करने के लिए उनकी प्रगति के लिए वित्तीय मदद प्रदान कर रही है।
इस संगोष्ठी में केन्द्रीय मंत्री स्मृति जूबिन ईरानी, केन्द्रीय राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति, डॉ. भारती प्रवीण पवार भी शामिल हुई। इस कार्यक्रम में साध्वी ऋतंभरा, महा मंडलेश्वर कंकेश्वरी देवी सहित अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किया है। कार्यस्थल में महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानून लागू किए हैं। बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के लिए मृत्युदंड तय किया गया है। महिलाओं को सेना में उच्च रैंक तक प्रमोट किया जा रहा है। सैनिक स्कूलों में बेटियों को दाखिले देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। कोशिश की जा रही है कि बेटियों की शादी की उम्र 18 से 21 की जाए। ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ के माध्यम से महिलाओं में शिक्षा का विस्तार किया जा रहा है।
उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए किये गये कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दो करोड़ घर बनाए गए हैं। पहले महिलाओं को संपत्ति का अधिकार नहीं होता था लेकिन आज इस योजना से उन्हें यह अधिकार मिल रहा है। आज जनधन योजना के माध्यम से 23 करोड़ महिलाओं के खाते खोले गए हैं। 9 करोड़ महिलाओं को उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए गए हैं। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया है कि महिलाओं को शौच के लिए घर से बाहर न जाना पड़े।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के अंत में ‘वोकल फॉर लोकल’ को महिला सशक्तिकरण से जोड़ा। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में अपने पैरों पर खड़े देश ही आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर स्थानीय उत्पादों की ताकत महिलाओं के हाथों में होती है। महिला संत अपने संबोधन और जागरूकता अभियान में स्थानीय उत्पादों के प्रयोग के लिए लोगों को जरूर प्रोत्साहित करें। वह कुपोषण के खिलाफ देश में चल रहे अभियान में मदद करें।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कच्छ की धरती को सदियों से नारी शक्ति और सामर्थ्य का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि मां आशापूरा स्वयं मातृ शक्ति के रूप में यहां विराजित है। यहां की महिलाओं ने समाज को कठोर प्रकृतिक चुनौतियों में जीना जूझना और जीतना सिखाया है।
प्रधानमंत्री ने महिला शक्ति का उदाहरण देते हुए कहा कि 1971 में भुज में हवाई पट्टी दुश्मनों ने क्षतिग्रस्त की थी। तब महिलाओं ने रातों-रात नई एयर स्ट्रिप तैयार की थी ताकि भारतीय सेना को लड़ने में मदद मिल सके।