Supreme Court: सुपरटेक ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- दोनों अवैध टावर 22 मई तक गिरा दिए जाएंगे

नई दिल्ली, 28 फरवरी (हि.स.)। अवैध ठहराए जा चुके सुपरटेक एमरल्ड कोर्ट के 40 मंज़िला टावरों को गिराने के मामले पर नोएडा अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दोनों टावर 22 मई तक गिरा दिए जाएंगे और 22 अगस्त तक मलबा हट जाएगा। कोर्ट ने सभी पक्षों को इस टाइमलाइन का पालन करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 17 मई को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 7 फरवरी को नोएडा अथॉरिटी को निर्देश दिया था कि वो 2 अवैध टावरों को गिराने का काम दो हफ्ते में शुरू करे। 4 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फ्लैट खरीददारों के पैसे 28 फरवरी तक लौटाए जाएं। कोर्ट ने आदेश दिया था कि एमिकस क्युरी की ओर से की गई गणना के मुताबिक पैसे लौटाए जाएं। कोर्ट ने कहा था कि जिन फ्लैट खरीददार का होम लोन का बकाया है उसका भुगतान 10 अप्रैल तक सुपरटेक करे। कोर्ट ने कहा था कि जिन फ्लैट खरीददार ने सुपरटेक के साथ समझौता कर लिया है वैसी स्थिति में समझौते की शर्तों दोनों पक्षों को माननी होगी। 17 जनवरी को कोर्ट ने ट्विन टावर को गिराने का जिम्मा मुंबई की एडिफिस इंजीनियरिंग को देने का आदेश दिया था।

फ्लैट खरीददारों ने सुपरटेक के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि सुपरटेक ने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया। याचिका में कहा गया है कि सुपरटेक ने फ्लैट खरीददारों को पैसे वापस देने के लिए बुलाया। जब वे पैसे लेने सुपरटेक के दफ्तर गए तो उनसे कहा गया कि उन्हें कुछ कटौती कर किश्तों में पैसे दिए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2021 को दोनों अवैध टावरों को गिराने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखते हुए ये आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि तीन महीने में निर्माण हटाया जाए। कोर्ट ने कहा था कि फ्लैट खरीददारों को दो महीने में पैसा वापस दिया जाए। कोर्ट ने फ्लैट खरीददारों को 12 फीसदी सालाना ब्याज के साथ पैसे लौटाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि निर्माण गिराने का खर्च सुपरटेक वहन करेगा। कोर्ट ने कहा था कि इस अवैध निर्माण में बिल्डर और अधिकारियों की मिलीभगत है। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दोनों टावरों को अवैध घोषित कर गिराने के आदेश दिए थे, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी और टावर को सील करने के आदेश दिए थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *