मुंबई, 27 फरवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि बेहतर सामाजिक स्वास्थ्य के लिए ग्राम विकास और पर्यावरण संवर्धन पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में आपाधापी की वजह से लोगों की जीवनशैली काफी तेज हो गई है, इससे परिवार में आपसी संवाद बहुत कम हो गया है। साथ ही संपूर्ण सजीव सृष्टि पर्यावरण संकट का सामना कर रही है। इसे देखते हुए देश के सर्वांगीण विकास के लिए ग्रामीण क्षेत्र का विकास आवश्यक है। इसे ध्यान में रखते हुए संघ के कार्यकर्ताओं को परिवार प्रबोधन, पर्यावरण, ग्राम विकास जैसे कामों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कोकण प्रांत संघचालक प्रशिक्षण वर्ग, कुडाल के पास सर्सोली धाम में शुरू है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने शनिवार को यहां दो दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित किया। इस मौके पर क्षेत्र संघचालक जयंतीभाई भाडेसिया, प्रांत संघचालक सतीश मोंड, प्रांत सह-संघचालक अर्जुन तथा बाबा चांदेकर आदि उपस्थित थे।
डॉ. भागवत ने कहा कि समाज में एकाकीपन बढ़ने लगा है और आपसी संवाद भी कम हो गया है। इस स्थिति में बदलाव लाने के लिए संघ में कुटुंब प्रबोधन मुहिम शुरू की गई है। साथ ही गांव का समुचित विकास हो और उस गांव का व्यक्ति उसी जगह अपना रोजगार कर सके, इस तरह का प्रयास किया जाना आवश्यक है। पर्यावरण प्रदूषण भले ही मानव निर्मित है, लेकिन इससे सभी को नुकसान हो रहा है। हिंदुत्व की वैश्विक अवधारणा चराचर का विचार करने वाली है। इसलिए संघ के कार्यकर्ताओं को इस संबंध में अधिक ध्यान देना चाहिए। साथ ही संघचालक को इस काम के लिए कार्यकर्ताओं को प्रेरित भी करना चाहिए।
डॉ. भागवत ने कहा कि वर्ष 2025 में संघ की स्थापना को 100 वर्ष पूरे हो जाएंगे। संघ की शाखाएं अब देशभर में लग रही हैं। इसलिए आगामी समय में इसपर ध्यान देना आवश्यक है।