Rajnath Singh: संस्कारों के अभाव में डॉक्टर होकर भी कोई बन सकता है अफ़ज़ल गुरु: राजनाथ सिंह

नई दिल्ली, 26 फरवरी (हि.स.)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वविद्यालय की शिक्षा के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान का महत्व समझाते हुये कहा कि जीवन में ज्ञान से अधिक अहमियत संस्कारों की होती है। इसके अभाव में डॉक्टर होकर भी कोई अफ़ज़ल गुरु बन सकता है। कुख्यात आतंकी मोहम्मद अफ़ज़ल गुरु 2001 में भारतीय संसद पर हुए आतंकवादी हमले का दोषी था।

गरीबी और अशिक्षा को आतंकवाद का जनक कहने वालों को जवाब देते हुये राजनाथ सिंह ने कहा कि खूब पढ़ लिखने के बाद भी अमेरिका में ट्रेंड पायलट हो कर भी कोई 9/11 करने वाला ख़ालिद शेख़ या मोहम्मद अट्टा बन सकता है। डॉक्टर होकर भी कोई अफ़ज़ल गुरु बन सकता है। सीए होकर भी कोई याकूब मेनन बन सकता है। अरबपति खरबपति होकर भी कोई ओसामा बिन लादेन बन सकता है।

उन्होंने कहा कि महत्व यह नहीं है कि आप कितने बुद्धिमान, प्रतिभावान या धनवान है बल्कि महत्व इस बात का है कि आपके मन का संस्कार क्या है। जो लोग यह सिद्धांत देने का प्रयास करते हैं कि केवल ग़रीबी और अशिक्षा के कारण ही आतंकवाद पनपता है उपरोक्त उदाहरण उनकी बात को और उनके तर्क को ध्वस्त कर देते हैं।

राजनाथ सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के 98वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दीक्षांत शब्द का उपयोग पहली बार तैत्तिरीय उपनिषद में हुआ था। शिक्षा का अर्थ ज्ञान और संस्कारों से होता है। उन्होंने कहा कि हम भारत को शक्तिमान, धनवान, ज्ञानवान और संस्कारवान बनाना चाहते हैं। हमारी शक्ति दुनिया को डराने के लिए नहीं बल्कि विश्व कल्याण के लिए है। भारत ने आज तक दुनिया के किसी देश पर न आक्रमण किया और न दुनिया के देश में एक इंच जमीन पर कब्जा किया है। ये हमारा चरित्र है।

‘ब्रेन ड्रेन’ के संबंध में रक्षा मंत्री ने अपने यहां की प्रतिभाओं को बाहर जाने से रोकना की जरुरत बताते हुये कहा कि आज गूगल, माइक्रोसाफ्ट, ट्विटर, अडोब, आईबीएम जैसी कंपनियां भारतीय शिक्षण संस्थानों में पढ़ कर निकलने वाले भारतीयों के हाथ में है। आज हमें यह सोचने की जरूरत है कि जो भारतीय टैलेंट दुनिया भर की टॉप कंपनियों की बागडोर संभाल सकता है वह भारत में टॉप कंपनियां क्यों नहीं खड़ी कर सकता।

उन्होंने कहा कि पहले देश में कोई स्टार्टअप इकोसिस्टम नहीं था मगर पिछले छह-सात सालों में तस्वीर बदली है। साल 2014 में भारत में केवल 500 स्टार्ट आप काम कर रहे थे। आज 2022 में यह गिनती 60000 स्टार्ट अप्स को पार कर गई है। पिछले साल 2021 में भारत में 44 नए यूनिकॉर्न निकल कर सामने आए और भारत के यूनिकॉर्न की संख्या 83 हो गई थी। अब 2022 के पहले पचास दिनों में ही 10 नए यूनिकॉर्न जुड़ गए हैं।

राजनाथ ने वैदिक काल की विदुषी गार्गी और मैत्रेयी के संबंध में कहा कि आज की युवा पीढ़ी गार्गी और मैत्रेयी को भूल गई है अथवा याद रखकर भी आज के समय के साथ कनेक्ट नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग भारतीय संस्कृति को लांछित करने का प्रयास करते हैं वह विश्व के किसी भी अन्य धर्म या संस्कृति में उदाहरण नहीं दे सकते जिसमें धर्मग्रंथ के ऊपर बहस और टिप्पणी करने का अधिकार उनके मूल धर्म ग्रंथों द्वारा स्त्रियों को दिया गया।

कार्यक्रम से इतर राजनाथ ने रूस-यूक्रेन संकट पर कहा कि यूक्रेन में फंसे लोगों को भारत सरकार अपने खर्च पर लाएगी। वहां से कई लोग आ भी चुके थे। हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेन के विदेश मंत्री से बातचीत की है। उन्हें यहां सुरक्षित लाने की व्यवस्था चल रही है। हम चाहते हैं कि हालात सामान्य हो।

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