नई दिल्ली, 24 फरवरी (हि.स.)। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को कहा कि जैव चिकित्सा नवाचार नीति देश में स्टार्ट अप संस्कृति को बढ़ावा देने का काम करेगी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) द्वारा तैयार किए गए जैव चिकित्सा नवाचार नीति देश भर के चिकित्सा संस्थानों में नवाचार आधारित पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करेगी। उन्होंने कहा कि यह नीति प्रधानमंत्री के “नवाचार, पेटेंट, उत्पादन और समृद्धि” के आदर्श वाक्य के साथ प्रतिध्वनित होती है।
डॉ. मनसुख मंडाविया गुरुवार को निर्माण भवन में बायोमेडिकल इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप पर आईसीएमआर एवं डीएचआर द्वारा तैयार दिशा-निर्देश जारी करने के समारोह में बोल रहे थे। डॉ मनसुख मंडाविया ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व और मार्गदर्शन में, भारत ने आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता की दिशा में कई उल्लेखनीय कदम उठाए हैं, विशेष रूप से महामारी की अवधि के दौरान टीके के विकास में विश्व में उदाहरण स्थापित किया है। उम्मीद है कि डीएचआर-आईसीएमआर की यह नीति सभी हितधारकों को प्रेरित और प्रोत्साहन देगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ, तकनीशियनों के पास मौलिक समस्याओं के साथ काम करने का अनुभव है। यह नीति उद्योग को तकनीकी संस्थानों से साथ जोड़ेगी जिससे स्वास्थ्य क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।
इस मौके पर मौजूद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि यह नीति भारत में चिकित्सा उपकरण और नैदानिक उत्पादों सहित स्वास्थ्य संबंधी नवाचारों की एक पाइपलाइन तैयार करेगा। आईसीएमआर के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव ने कहा कि चिकित्सा पेशेवरों के लिए बायो-मेडिकल इनोवेशन और उद्यमिता पर आईसीएमआर, डीएचआर नीति एक गेम चेंजर है। इस नीति से डॉक्टरों को अंतर-संस्थागत और उद्योग परियोजनाओं को शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।
नई नीति के मुख्य बिंदु —
-डॉक्टरों को स्टार्ट-अप कंपनियां बनाकर उद्यमशीलता के उपक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
-डॉक्टरों को कंपनियों के माध्यम से अंतर-संस्थागत और उद्योग परियोजनाओं को शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।