नारायणपुर, 23 फरवरी(हि.स.)। जिले के ऐतिहासिक मावली मेला ,आस्था परंपरा और संस्कृति संगम है। प्रति वर्ष लोग श्रद्धापूर्वक अपने देवी -देवता के साथ इसमें सहभागिता निभाते हैं। माता मावली मेला का शुभारंभ बुधवार को बुधवारी बाजार स्थल में देवी-देवताओं के मिलन के साथ ढाई परिक्रमा के बाद परंपरानुसार हुआ। वर्तमान में मेले के स्वरूप में बदलाव देखने को मिल रहा है। तीन दशक पहले अबूझमाड के ग्रामीण और विदेशी पर्यटक काफी संख्या मे मुख्यालय आते थे, लेकिन अब वह बात नहीं रही।
शताब्दियों पुरानी ऐतिहासिक मावली मेला का शुभारंभ के साथ ही मावली परघाव पूजा विधान की रस्म निभाई गई, इस रस्म में देवी देवता अैार आंगादेव बड़ी संख्या में शामिल हुए। देवी-देवता पारम्परिक देव बाजे की धुन में नाचते-झूमते हुए शामिल हुए। मंदिर में बकरे की बली देकर रस्म की अदायगी की गयी। जिसमे करंगाल और दुगाल परगना के देवी-देवता और आंगादेव भी शामिल हुए ।मावली मंदिर से शुरू होकर जुलुस के रूप मे मेला स्थल पर आड़मावाली मंदिर के ढाई परिक्रमा पूरी की गई।