नई दिल्ली, 23 फरवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्रीय बजट 2022-23 में घोषित वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम को देश के सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास की कुंजी बताते हुये कहा कि यह हमारे सीमावर्ती गांवों के विकास के लिए बहुत अहम है। प्रधानमंत्री बुधवार को ग्रामीण विकास पर केंद्रीय बजट के सकारात्मक प्रभाव पर वेबिनार को संबोधित करते हुये अपनी बात रख रहे थे।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए पीएम विकास पहल, समयबद्ध तरीके से कार्यक्रमों का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगी।
उन्होंने ग्रामीण विकास के सभी हित धारकों से इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने का आग्रह करते हुये ग्रामीण विकास के संबंध तमाम विभागों को समन्वय के साथ काम करने की सलाह दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम प्रशासनिक बाधाओं को दूर कर शासन में सुधार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की अधिक सक्रिय भागीदारी करने का इरादा रखते हैं।
केंद्रीय बजट में ग्रामीण सड़कों के संतृप्ति कवरेज, सभी के लिए आवास और जल जीवन मिशन के लिए स्पष्ट रोडमैप है। उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास हमारी सरकार की नीति और कार्यवाही का प्रेरणा सूत्र हैं।
उन्होंने कहा कि इस बजट में सरकार की ओर से सैचुरेशन के इस बड़े लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप दिया गया है। बजट में पीएम आवास योजना, ग्रामीण सड़क योजना, जल जीवन मिशन, नॉर्थ ईस्ट की कनेक्टिविटी, गांवों की ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, ऐसी हर योजना के लिए जरूरी प्रावधान किया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत लगभग 4 करोड़ कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए आपको अपनी मेहनत और बढ़ानी होगी। मेरा हर राज्य सरकार से यह भी आग्रह है कि जो पाइपलाइन बिछ रही हैं और पानी आ रहा है, उसकी गुणवत्ता पर भी बहुत ध्यान देने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि गांवों की डिजिटल कनेक्टिविटी अब एक आकांक्षा भर नहीं है, बल्कि आज की जरूरत है। ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से गांवों में सुविधाएं ही नहीं मिलेंगी, बल्कि ये गांवों में स्किल्ड युवाओं का एक बड़ा पूल तैयार करने में भी मदद करेगा।
स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर देते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक बड़ा आधार हमारी महिला शक्ति है। फाइनेंशियल इंक्लुजन ने परिवारों में महिलाओं की आर्थिक फैसलों में अधिक भागीदारी सुनिश्चित की है। सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के माध्यम से महिलाओं की इस भागीदारी को और ज्यादा विस्तार दिए जाने की जरूरत है।