Science Week : विज्ञान सप्ताह : डीआरडीओ के निर्मित प्रक्षेपास्त्रों और मिसाइलों पर व्याख्यान

प्रयागराज, 23 फरवरी (हि.स.)। विज्ञान परिषद् के तत्वावधान में विज्ञान प्रसार द्वारा आयोजित विज्ञान सप्ताह कार्यक्रम ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ के दूसरे दिन डीएमएसआरई कानपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ डीएन त्रिपाठी ने डीआरडीओ की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने पौराणिक कथाओं में वर्णन किये गये दिव्यास्त्रों की चर्चा करते हुए डीआरडीओ द्वारा निर्मित प्रक्षेपास्त्रों और मिसाइलों के बारे में बताया।

उन्होंने चन्द्रशेखर आजाद सहित अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। तत्पश्चात् सीमा पर सियाचीन ग्लेशियर से लेकर राजस्थान के रेगिस्तानों और समुद्री सीमाओं पर तैनात सिपाहियों के लिए डीआरडीओ द्वारा तैयार किये गये वस्त्रों और उपकरणों, बुलेट प्रूफ जैकेटों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने ऐसे पदार्थों का भी विकास किया है, जो रडार की पकड़ में नहीं आते। उन्होंने ग्रेफाइट कार्बन नैनोट्यूब और नैनावाटर फिल्टर आदि के विकास की भी जानकारी दी।

विज्ञान परिषद् के उपसभापति प्रो. कृष्ण बिहारी पाण्डेय ने ‘भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समृद्धि परम्परा’ विषय पर कहा कि मानव सभ्यता के विकास का क्रम ही विज्ञान के विकास का क्रम है। उन्होंने कपिल, कणाद, सुश्रुत, चरक, भाष्कराचार्य, वराहमिहिर, नागार्जुन, आर्यभट्ट, भारद्वाज, जगदीश चंद्र बसु, रामानुजन आदि भारतीय वैज्ञानिकों के आविष्कारों और उपलब्धियों के बारे में बताया कि पश्चिमी देशों में जो आविष्कार पिछले पांच सौ वर्षों के अंदर हुए वे सभी भारत में हजारों वर्ष पहले ही हो चुके थे।

व्याख्यान सत्र का संचालन देवव्रत द्विवेदी ने किया। इस अवसर पर प्रो. शिव गोपाल मिश्र, प्रो. अशोक कुमार गुप्त, प्रेमचन्द्र श्रीवास्तव, विजय चितौरी, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मिश्र, डॉ. शान्ति चौधरी, डॉ. अर्चना पाण्डेय, डॉ. रूपाली मिश्रा, डॉ सुनन्दा दास, राधिका मिश्रा, मंजुलिका लक्ष्मी, डॉ बबिता अग्रवाल, डॉ शारदा सुंदरम् सहित अनेक शिक्षक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।

डॉ शान्ति चौधरी ने बताया कि इसके पूर्व अनेक विद्यालयों के हजारों छात्रों ने विज्ञान परिषद् प्रांगण में प्रदर्शित पोस्टर प्रदर्शनी, पुस्तक मेले तथा विज्ञान फिल्मों का अवलोकन किया। उन्होंने बताया कि 24 फरवरी को प्रो. कृष्णा मिश्रा, डॉ अर्चना पाण्डेय एवं शारदा सुंदरम् के व्याख्यान होंगे।

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