नई दिल्ली, 23 फ़रवरी (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस विपिन सांघी ने बाबा रामदेव के खिलाफ अपमानजनक कंटेंट (गूगल और सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए बयानों) को हटाने का आदेश देने के सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 21 मार्च को होगी।
गूगल, ट्विटर और फेसबुक ने याचिका दायर कर सिंगल बेंच के फैसले को डिवीजन बेंच में चुनौती दी है। 23 अक्टूबर, 2019 को हाई कोर्ट ने फेसबुक, गूगल, यूट्यूब और ट्विटर को निर्देश दिया था कि वह बाबा रामदेव के खिलाफ आरोपों से संबंधित कंटेंट हटाएं। जस्टिस प्रतिभा सिंह की सिंगल बेंच ने बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद की याचिका पर सुनवाई करते हुए 29 सितंबर, 2018 को बाबा रामदेव के बारे में लिखी गई पुस्तक ‘गॉडमैन टू टाइकून-द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ बाबा रामदेव’ को छापने, डिस्ट्रीब्यूट या बेचने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने कहा था कि इस पुस्तक के अंश वीडियो के जरिये फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर डाले गए हैं।
2018 में बाबा रामदेव ने जगरनॉट बुक्स द्वारा प्रकाशित होने वाले इस पुस्तक को छापने से रोकने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि पुस्तक जिसके बारे में लिखी गई है, उनकी गरिमा का ध्यान रखा जाना चाहिए। जब तक कोर्ट में ये प्रमाणित नहीं हो जाए तब तक उन्हें खलनायक के तौर पर पेश नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा था कि ये पुस्तक संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। हाई कोर्ट ने प्रकाशक की इस दलील को खारिज कर दिया था कि उसका मकसद बाबा रामदेव को बदनाम करना कतई नहीं था।