बेंगलुरु, 22 फरवरी (हि.स.)। कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब मामले पर चल रही सुनवाई पर कोई फैसला इसी सप्ताह में आने का संकेत दिया है। मंगलवार दोपहर मामले की सुनवाई शुरू होने पर इस आशय का संकेत मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने दिया है। अवस्थी तीन सदस्यीय पूर्ण पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं।
मंगलवार को याचिकाकर्ता छात्राओं के वकीलों ने हाई कोर्ट की पीठ में स्कूलों और कॉलेजों में कक्षाओं में भाग लेने के दौरान हिजाब पहनने के खिलाफ पहले के अंतरिम आदेश को कमजोर करने का अनुरोध किया था। इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश ने इस सप्ताह के दौरान मामले का निपटारा करने का आश्वासन दिया। उन्होंने इसे सुनिश्चित करने में सभी संबंधितों का सहयोग भी मांगा।
हिजाब पहनना अनुच्छेद 19(10(ए) के तहत आता है
इस बीच, महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवादगी ने तीसरे दिन भी अपनी दलीलें जारी रखीं और तर्क दिया कि देश में हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन संस्थागत मानदंडों के लिए प्रतिबंध है। उन्होंने कुछ याचिकाकर्ताओं के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि वे हिजाब पहनने का दावा करते हैं, जो अनुच्छेद 25 के दायरे में आते हैं। दूसरी ओर, उन्होंने तर्क दिया कि हेडस्कार्फ़ पहनने का अधिकार अनुच्छेद 19(1)(ए) की श्रेणी में आता है।
हिजाब मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट में सरकार ने कहा कि, “हिजाब पहनना संवैधानिक अधिकार नहीं है। यह अनुच्छेद 25 के दायरे में नहीं आता है। इस मामले में बुधवार 23 फरवरी को भी सुनवाई हाेगी।
फ़्रांस में हिजाब पर प्रतिबंध
महाधिवक्ता नवादगी ने फ़्रांस में सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनने पर पूर्ण प्रतिबंध के बारे में भी हाई कोर्ट की पीठ का ध्यान आकर्षित किया और टिप्पणी की कि इसका मतलब यह नहीं है कि उस देश में इस्लाम भी प्रतिबंधित है। उन्होंने यह भी कहा कि हिजाब पहनना अनिवार्य है या नहीं, इस पर हाई कोर्ट के ध्यान में लाने के लिए केवल उदाहरण दिया है। इसी तरह कुल मिलाकर भारत में इसे पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन शैक्षणिक संस्थानों की अपनी राय है।