नई दिल्ली, 22 फ़रवरी (हि.स.)। दिल्ली के साकेत कोर्ट ने कुतुबमीनार परिसर में मौजूद कुव्वुतुल इस्लाम मस्जिद में हिंदू देवताओं की पुनर्स्थापना और पूजा का अधिकार की मांग करने वाली याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। मंगलवार को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज पूजा तलवार ने इस मामले में केंद्र सरकार और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई अब 11 मई को होगी।
वकील विष्णु जैन के जरिये दायर याचिका में कहा गया है कि हिंदुओं और जैनों के 27 मंदिरों को तोड़कर ये मस्जिद बनाई गई है। जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव और भगवान विष्णु को इस मामले में याचिकाकर्ता बनाया गया था।
गौरतलब है कि इससे पहले 29 नवंबर, 2021 को सिविल जज नेहा शर्मा ने याचिका खारिज कर दी थी। सिविल जज के याचिका खारिज करने के आदेश को डिस्ट्रिक्ट जज की कोर्ट में चुनौती दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि मुगल बादशाह कुतुबद्दीन ऐबक ने 27 हिंदू और जैन मंदिरों की जगह कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद बना दिया। ऐबक मंदिरों को पूरे तरीके से नष्ट नहीं कर सका और मंदिरों के मलबे से ही मस्जिद का निर्माण किया गया। याचिका में कहा गया था कि कुतुब मीनार परिसर के दीवालों, खंभों और छतों पर हिन्दू औज जैन देवी-देवताओं के चित्र बने हुए हैं। इन पर भगवान गणेश, विष्णु, यक्ष, यक्षिणी. द्वारपाल. भगवान पार्श्वनाथ. भगवान महावीर, नटराज के चित्रों के अलावा मंगल कलश, शंख, गदा, कमल, श्रीयंत्र, मंदिरों के घंटे इत्यादि के चिह्न मौजूद हैं। ये सभी बताते हैं कि कुतुब मीनार परिसर हिंदू और जैन मंदिर थे। याचिका में कुतुब मीनार को ध्रुव स्तंभ बताया गया था।
याचिका में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के उस संक्षिप्त इतिहास का जिक्र किया गया था, जिसमें कहा गया था कि 27 मंदिरों को गिराकर उनके ही मलबे से कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण किया गया। याचिका में मांग की गई थी कि इन 27 मंदिरों को पुनर्स्थापित करने का आदेश दिया जाए और कुतुब मीनार परिसर में हिंदू रीति-रिवाज से पूजा करने की इजाजत दी जाए।