Air strike : इंडियाज मोस्ट फीयरलेस 2 में हुआ बालाकोट एयर स्ट्राइक के पल-पल एक्शन का खुलासा

नई दिल्ली, 20 फरवरी (हि.स.)। एक गोली सीधी कॉर्पोरल ज्योति के सिर में लगी लेकिन जमीन पर गिरने तक भी उनकी मशीन गन से गोलियां बरसती रहीं और उनकी अंगुली ट्रिगर पर दबी रही। इसी तरह मेजर मोहित एक आतंकवादी ऑपरेशन के दौरान घायल होने के बाद भी अपने साथियों को निर्देश देते रहे कि ‘मैं ठीक हूँ, बाकियों को देखो।’ सेना के लेफ्टिनेंट नवदीप ने अपने सिर में गोली धंसने के बावजूद आतंकवादी के चेहरे पर सीधे गोलियों की बौछार कर दी। ‘इंडियाज मोस्ट फीयरलेस 2’ पुस्तक में बालाकोट एयर स्ट्राइक के पल-पल एक्शन का खुलासा किया गया है।

लेखक शिव अरूर और राहुल सिंह ने अपनी नई पुस्तक ‘इंडियाज मोस्ट फीयरलेस 2’ में पुलवामा हमले के 12 दिन बाद एलओसी पार करके पाकिस्तान के बालाकोट में की गई एयर स्ट्राइक के पल-पल एक्शन का खुलासा किया है। किताब में बताया गया है कि पुलवामा हमले की बदले की योजना अटैक के दूसरे ही दिन से बननी शुरू हो गई थी। 15 फरवरी, 2019 को इंडियन एयरफोर्स के चीफ बीएस धनोआ ने हमले की प्रतिक्रिया में एयर स्ट्राइक करने की योजना सरकार के सामने रख दी थी। इसके बाद 16 फरवरी से लेकर 20 फरवरी तक भारतीय वायुसेना ने एलओसी के पास सर्विलांस रखना शुरू कर दिया। एयरफोर्स के ड्रोन विमानों के जरिए इलाके में चल रहे आतंकी शिविरों के बारे में जानकारी इकट्ठा करनी शुरू कर दी गई। एयरफोर्स के साथ देश की खुफिया एजेंसियां भी इस काम में लगी थीं।

हिन्द पॉकेट बुक्स, पेंगुइन रेंडम हाउस ने यह ऐतिहासिक पुस्तक प्रकाशित की है। पुस्तक में भारतीय जांबाजों की अंतिम सांस तक की शहादत को समेटा गया है। चश्मदीद कॉर्पोरल देवेंदर के हवाले से बताया गया है कि ‘मुझे वह पल अच्छी तरह याद है, जब एक ऑपरेशन के दौरान कॉर्पोरल ज्योति गिरा, तब भी उसकी एलएमजी से फायरिंग हो रही थी, मैं वह दृश्य कभी नहीं भूल सकता।’ पुस्तक में एक जगह खुलासा किया गया है कि वह (मेजर मोहित) यही कहते रहे ‘मेरी इंजरी नार्मल है,’ उस दिन उनका पूरा ध्यान दो बातों की ओर लगा हुआ था कि हमारे लोग हताहत न हों और आतंकवादी बचकर भागने न पाएं। वो आख़िरी दम तक बस यही कहते रहे, ‘मैं ठीक हूँ, बाकियों को देखो।’

उन्होंने अपनी शहादत तक इस बात का पूरा ख्याल रखा कि दस्ते का हरेक जवान सुरक्षित जगह पर छिपकर आतंकियों का काम तमाम कर सके। स्पेशल फोर्स के लोग मेजर मोहित शर्मा को उनके मजाकिया स्वभाव के कारण भी खासतौर पर याद करते हैं। सेना नायक हजारी लाल ने याद करते हुए बताया कि 2009 के ऑपरेशन से कई महीने पहले उन्होंने किस तरह एक मेडिकल कोर्स पूरा किया था। ‘मोहित साब ने मुझसे पूछा कि क्या ग्रेडिंग आई है? मैंने कहा, “साब ग्रेडिंग तो बी है,” उन्होंने कहा, “बी तो ठीक है लेकिन अगर मुझे गोली लगी तो मुझे बचा लेगा न?”

दोनों लेखकों ने अपनी इस पुस्तक में जांबाज लेफ्टिनेंट नवदीप के बारे में बताया है कि उन्होंने अपना सिर कुछ इंच ऊपर उठाकर उस जगह का अच्छे से जायजा लेने की कोशिश की जहां आख़िरी आतंकवादी छुपा हुआ था। वह जानना चाहते थे कि आतंकवादी अभी तक उन पत्थरों के पीछे छिपकर ही गोलियां चला रहा है, या उसने अपनी जगह बदल ली है। उसी पल एक गोली लेफ्टिनेंट नवदीप के बुलेटप्रूफ पटके के कोने को चीरते हुए उनके सिर में धंस गई। गोली लगने के बावजूद लेफ्टिनेंट नवदीप ने एके-47 राइफल के ट्रिगर पर अपनी पकड़ मजबूत करके उस अंतिम आतंकवादी के चेहरे पर सीधे गोलियों की बौछार कर दी। महज पांच मीटर के फासले पर दोनों एक साथ अपनी-अपनी पोज़िशन्स पर गिर पड़े। कुछ पल गुजरने पर बंदूकें शांत हो गईं और आतंकवादी ढेर होने के साथ ही लेफ्टिनेंट नवदीप भी भारत मां की गोद में सो गए।

लेखकों ने हमारे वीर सैनिकों की सहासिक घटनाओं की ऐसी बारीक व्याख्या की है कि कई बार पाठक रोमांच से भर जाता है तो कई बार खुद को किसी जंगल, पहाड़ी या सीमा के नजदीक दुश्मनों से घिरा महसूस करता है। दुनिया की चौथी सबसे बड़ी भारतीय सेना के नायकों के कई रूपों से लेखकों ने हमारा परिचय कराया है। वैसे तो देश के लिए किसी भी तरह का काम करने वाला देशभक्त कहलाता है, मगर देशभक्ति की जैसी मिसाल एक फौजी के जीवन में हमें देखने को मिलती है वह दुर्लभ ही है। इंडियाज मोस्ट फीयरलेस 2 में हमारे कुछ वीर नायकों की व्यक्तिगत और फौजी जीवन की तस्वीरें प्रकाशित की गईं हैं। कुछ तस्वीरें उन्हें मरणोपरांत मिले सम्मान की आंसू भरी याद दिलाती हैं तो कुछ चित्र उनके परिवार के बीच हंसती-मुस्कराती जिन्दगी को भी दर्शाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *