DMRC : डीएमआरसी और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच करार के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई से इनकार

नई दिल्ली, 18 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस के निर्माण के लिए 2008 में हुए करार के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत कभी किसी प्राधिकार से नहीं की और सीधे हाईकोर्ट चले आए।

वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर याचिका में कहा था कि 25 अगस्त 2008 को हुआ ये करार जनहित में नहीं था और इसमें फर्जीवाड़ा हुआ था। ये करार जनता के पैसे का दुरुपयोग था। उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो और रिलायंस के बीच हुए समझौते में करार खत्म करने की जो धारा थी वो गैरकानूनी थी। सुनवाई के दौरान मनोहर लाल शर्मा ने दिल्ली मेट्रो पर रिलायंस के बकाया वसूली के लिए दायर याचिका की कार्यवाही को निरस्त करने की मांग की गई थी।

उन्होंने कहा कि आर्बिट्रेशन की पूरी कार्यवाही का आधार फर्जी समझौता था, इसलिए इस कार्यवाही को ही निरस्त किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान जस्टिस मनमोहन ने मनोहर लाल शर्मा से पूछा कि क्या आपने अपनी शिकायत किसी प्राधिकार से की थी। अगर आपको लगता है कि इसमें फर्जीवाड़ा हुआ है तो आपको उचित फोरम पर एफआईआर दर्ज करने की मांग करनी चाहिए।

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के समक्ष आर्बिट्रेशन के फैसले के मुताबिक बकाया रकम की वसूली के लिए दिल्ली मेट्रो के खिलाफ याचिका दायर कर रखा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 जून 2017 को आदेश दिया था कि डीएमआरसी डीएएमईपीएल को साठ करोड़ रुपये का भुगतान करे। डीएएमईपीएल रिलायंस इंफ्रा की सब्सिडियरी कंपनी है। डीएमआरसी ने अपनी याचिका में कहा था कि सिंगल जज का ये फैसला अंतिम नहीं है और ये अवार्ड का एक हिस्सा भर है।

नई दिल्ली, 18 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस के निर्माण के लिए 2008 में हुए करार के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत कभी किसी प्राधिकार से नहीं की और सीधे हाईकोर्ट चले आए।

वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर याचिका में कहा था कि 25 अगस्त 2008 को हुआ ये करार जनहित में नहीं था और इसमें फर्जीवाड़ा हुआ था। ये करार जनता के पैसे का दुरुपयोग था। उन्होंने कहा कि दिल्ली मेट्रो और रिलायंस के बीच हुए समझौते में करार खत्म करने की जो धारा थी वो गैरकानूनी थी। सुनवाई के दौरान मनोहर लाल शर्मा ने दिल्ली मेट्रो पर रिलायंस के बकाया वसूली के लिए दायर याचिका की कार्यवाही को निरस्त करने की मांग की गई थी।

उन्होंने कहा कि आर्बिट्रेशन की पूरी कार्यवाही का आधार फर्जी समझौता था, इसलिए इस कार्यवाही को ही निरस्त किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान जस्टिस मनमोहन ने मनोहर लाल शर्मा से पूछा कि क्या आपने अपनी शिकायत किसी प्राधिकार से की थी। अगर आपको लगता है कि इसमें फर्जीवाड़ा हुआ है तो आपको उचित फोरम पर एफआईआर दर्ज करने की मांग करनी चाहिए।

रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के समक्ष आर्बिट्रेशन के फैसले के मुताबिक बकाया रकम की वसूली के लिए दिल्ली मेट्रो के खिलाफ याचिका दायर कर रखा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने 7 जून 2017 को आदेश दिया था कि डीएमआरसी डीएएमईपीएल को साठ करोड़ रुपये का भुगतान करे। डीएएमईपीएल रिलायंस इंफ्रा की सब्सिडियरी कंपनी है। डीएमआरसी ने अपनी याचिका में कहा था कि सिंगल जज का ये फैसला अंतिम नहीं है और ये अवार्ड का एक हिस्सा भर है।

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