नई दिल्ली, 18 फरवरी (हि.स.)। जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा है कि अहमदाबाद बम धमाकों के मामले में विशेष अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। इस मामले में 38 दोषियों को मौत की सजा और 11 को उम्रकैद देने के फैसले पर बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा कि विशेष अदालत का फैसला अविश्वसनीय है। मौलाना मदनी ने कहा कि सजा के खिलाफ देश के नामी वकील मजबूती से कानूनी लड़ाई लड़ेंगे।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि पहले भी कई मामलों में निचली अदालतों से सजा पाए आरोपित हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से बाइज्जत बरी हो चुके हैं। इसका एक बड़ा उदाहरण अक्षरधाम मंदिर हमले का मामला है, जिसमें निचली अदालत ने मुफ्ती अब्दुल कय्यूम सहित 3 को फांसी और 4 को उम्रकैद की सजा दी थी। गुजरात हाई कोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ना सिर्फ सभी लोगों को बाइज़्ज़त बरी कर दिया बल्कि निर्दोष लोगों को झूठे तरीके से बम ब्लास्ट में फंसाने की साजिश रचने पर गुजरात पुलिस को कड़ी फटकार भी लगाई थी।
इससे पहले के मामलों का जिक्र करते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि अमेरिकी वाणिज्य दूतावास पर हमले के मामले में सात लोगों को मौत की सजा सुनाई थी लेकिन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कोशिशों से कई आरोपितों को बरी कर दिया गया था, जबकि दो व्यक्तियों की सजा सात साल कर दी गई थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस मामले के आरोपितों को भी सुप्रीम कोर्ट से फांसी और उम्रकैद की सजा से बचाने और उन्हें बाइज्जत बरी कराने में कामयाब होंगे।