बेंगलुरु, 17 फरवरी (हि.स.)। कर्नाटक हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने हिजाब पहनने से संबंधित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई करते हुए कार्यवाही को कल दोपहर 2.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
पीठ ने हस्तक्षेप के आवेदनों (आईए) पर विचार करने से इनकार कर दिया। एडवोकेट शदाद फरास्ट ने आईए दायर करने का जिक्र किया। उन्होंने तर्क दिया कि वह केवल एक मुद्दा उठाना चाहते हैं, वह यह है कि संयुक्त राष्ट्र बाल सम्मेलन में भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है, जो कुछ अधिकारों को मान्यता देता है। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने यह कहते हुए जवाब दिया, “हम हस्तक्षेप अनुप्रयोगों की अवधारणा को समझने में विफल हैं। हम याचिकाकर्ताओं और फिर प्रतिवादियों को सुन रहे थे। अगर हमें आवश्यकता होगी तो हम आपकी सहायता लेंगे। फिलहाल हमें किसी के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।”
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी स्पष्ट किया, “चार याचिकाओं पर सुनवाई हुई और चार शेष हैं। हमें नहीं पता कि आपको कितना समय चाहिए। हम एक और हस्तक्षेप के लिए इतना समय नहीं दे सकते।”
मुख्य न्यायाधीश ने वकील से यह भी कहा, “आपने अदालत की फीस का भुगतान नहीं किया है। 300 रुपये कम है। आपने 8 फरवरी को याचिका दायर की है और अब तक आपने अदालत की फीस का भुगतान नहीं किया है। आप कैसे कह सकते हैं कि आपको अवसर नहीं दिया।”
इस मोड़ पर, महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवादगी ने यह तर्क देते हुए आपत्ति जताई कि याचिका प्रक्रिया का दुरुपयोग है। निर्देशों के अनुसार प्रतिवादी को पक्षकार नहीं बनाया गया है।
अधिवक्ता रहमतुल्ला कोतवाल ने अपनी याचिका पेश करते हुए कहा कि अनुच्छेद 14, 15 और 25 के अलावा राज्य की कार्रवाई अनुच्छेद 51 (सी) का भी उल्लंघन करती है। उन्होंने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा का उल्लेख किया और कहा कि प्रतिवादियों की कार्रवाई पूरी तरह से धर्म और लिंग के आधार पर मनमाना भेदभाव पैदा कर रही है, वे केवल धार्मिक टोपी, हिजाब के आधार पर शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन कर रहे हैं।
इसके बाद अदालत ने सुनवाई शुक्रवार दोपहर 2.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। शुक्रवार को महाधिवक्ता राज्य के दृष्टिकोण को सामने रखने के अलावा याचिकाकर्ताओं की दलीलों का जवाब देंगे।