Karnataka High Court : हिजाब मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट में बुधवार को भी जारी रहेगी सुनवाई

बेंगलुरु, 15 फरवरी (हि.स.)। कर्नाटक हाई कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने हिजाब पहनने के विवाद मामले पर सोमवार को भी सुनवाई करने के बाद बुधवार दोपहर 2.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित और न्यायमूर्ति सुश्री खाजी जयबुन्निसा मोहिद्दीन की पीठ के सामने दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पूरी कीं।

याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता और वकील देवदत्त कामथ की दलीलों के बीच एक अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता रविवर्माकुमार ने दूसरे आवेदन के पक्ष में अपनी दलीलें शुरू कीं, जिस पर महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवादगी ने आपत्ति जताई। उन्होंने तर्क दिया कि दूसरे आवेदन में याचिकाकर्ता छात्रा के हस्ताक्षर नहीं हैं। हालांकि, अदालत ने रविवर्माकुमार को अपनी दलीलें पेश करने की अनुमति दे दी। चूंकि दलीलें अधूरी थीं, इसलिए पीठ ने कार्यवाही को कल दोपहर 2.30 बजे फिर से शुरू करने के लिए स्थगित कर दिया।

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह उडुपी जिले के कुंडापुर में सरकारी जूनियर कॉलेज की छह छात्राओं के हिजाब पहनकर कॉलेज में प्रवेश करने के मामले को लेकर राज्य भर में हिजाब का विवाद शुरू हो गया था। अगले दिन यह संख्या बढ़कर 16 हो गई। अगले कुछ दिनों में यह संख्य़ा बढ़कर 25 हो गई और अन्य 25 मुस्लिम छात्राएं बिना हिजाब पहने कॉलेज में आती रहीं।

उडुपी के विधायक के रघुपति भट ने हिजाब विवाद की साजिश पर संदेह जताया है। उनका कहना है, “कॉलेज में लगभग 1,000 छात्र हैं जबकि मुस्लिम लड़कियों की संख्या 50 है। समर्थक और तर्क के बावजूद 25 छात्राएं बिना हिजाब पहने कॉलेज में आती रहती हैं।”

इस बीच, आरएसएस के दिग्गज नेता प्रभाकर भट, कल्लाडका ने यूनिफार्म पहनने में दिशा-निर्देशों को लागू नहीं करने के लिए राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने छात्रों को यूनिफार्म नीति का पालन करने के लिए मजबूर नहीं करने पर पुलिस कर्मियों की भी तीखी आलोचना की है।

हिजाब की घटना शुरू में एक अलग तरह से सामने आई और जंगल की आग की तरह न केवल राज्य में बल्कि देश और दुनिया में फैल गयी। इस तरह हिजाब विवाद के कारण कर्नाटक दुनिया भर में चर्चित हो गया है। कुंडापुर कॉलेज की घटना पूरे राज्य में इसी तरह की घटनाओं के लिए एक बेंचमार्क बन गई है। कई जगहों पर तो कुछ छात्राओं ने प्रारंभिक एसएसएलसी (दसवीं कक्षा) की परीक्षाओं का बहिष्कार भी किया जिससे स्थिति और भी खराब हो गई।

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