अगले चार वर्षों में पहला प्रोटोटाइप विकसित करने में एचएएल प्रमुख भागीदार होगा
– यूएवी70 हजार फीट की ऊंचाई से जमीन पर रखेगा निगरानी, सौर ऊर्जा से चलेगा
नई दिल्ली, 14 फरवरी (हि.स.)। निगरानी संचालन और हवाई संचार का दायरा बढ़ाने के उद्देश्य से ‘हाई एल्टीट्यूड स्यूडो सेटेलाइट’ (कैट्स) डिजाइन और विकसित किया जायेगा। रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए बेंगलुरु स्थित एक फर्म के साथ समझौता किया है। न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज ने अगले चार वर्षों में पहला प्रोटोटाइप विकसित करने की योजना के साथ रक्षा मंत्रालय से हाथ मिलाया है। यह सौदा रक्षा मंत्रालय की इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस (आईडेक्स) पहल के तहत किया गया है।
रक्षा सचिव अजय कुमार ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे अत्याधुनिक एयरोस्पेस विकास की दिशा में बड़ा कदम बताया है। इसके प्रोटोटाइप के विकास में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) प्रमुख भागीदार होगा। हाई एल्टीट्यूड प्लेटफॉर्म सिस्टम के लिए प्रमुख यूएवी संबंधित तकनीकी विकास शुरू किया गया था। इस सिस्टम को विकसित करने के लिए 700 करोड़ का बजट अनुमानित किया गया है। यूएवी को जमीन पर निगरानी बनाए रखने के लिए 70 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ने के लिए डिजाइन किया जायेगा और यह महीनों तक खुद को बिजली देने के लिए सौर ऊर्जा पर निर्भर रहेगा।
हाई एल्टीट्यूड स्यूडो सेटेलाइट कॉम्बैट (कैट्स) एयर टीमिंग सिस्टम का हिस्सा होगा, जो मानवयुक्त हवाई प्लेटफार्मों को झुंड ड्रोन और एक उच्च ऊंचाई निगरानी नेटवर्क के साथ एकीकृत करना चाहता है। स्वदेशी ‘कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम’ लड़ाकू पायलट को लक्ष्य नष्ट करने के लिए दुश्मन के इलाके में मिसाइलों या ड्रोन के झुंड को तैनात करने में सक्षम बनाएगा। यह स्टील्थ ड्रोन क्रूज मिसाइलों, रनवे को नष्ट करने वाले बम और अन्य पेलोड सहित 4 पारंपरिक हथियार ले जा सकते हैं। हवाई वाहन में “मदर शिप” से निर्देशित दुश्मन के क्षेत्र में 350 किमी. की गति से उड़ान भरने की क्षमता होगी। यह दुश्मन के क्षेत्र में प्रवेश करके अपनी मिसाइल गिराने के बाद वापस बेस पर आ सकता है।
कैट्स परियोजना भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए निर्धारित की गई है। 400 करोड़ रुपये के शुरुआती निवेश के साथ तीन अलग-अलग घटकों पर काम शुरू किया गया है, जिसमें कॉम्बैट एयर टीमिंग सिस्टम के साथ ही टीमिंग ड्रोन, एयर-लॉन्च क्रूज मिसाइल और अल्फा-एस (ग्लाइडर ड्रोन) मानव रहित प्रणालियां हैं। यह पायलट के जरिये सुरक्षित डेटा लिंक के माध्यम से नियंत्रित होती हैं और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड सेंसर से लैस होती हैं। इसे सुखोई-30 एमकेआई, एलसीए तेजस और जगुआर जेट जैसे विभिन्न भारतीय विमानों पर पेलोड के रूप में रखा जा सकता है। कैट्स वारियर स्मार्ट एंटी एयरफील्ड हथियार (एसएएडब्ल्यू) और नेक्स्ट एडवांस्ड जेनरेशन मिसाइल (एनएजीएम) जैसे 250 किलोग्राम भारी विस्फोटक ले जाने वाले दुश्मन क्षेत्रों पर हमला कर सकता है।