कठुआ, 12 फरवरी (हि.स.)। 6 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में ऊंचाई पर स्थित इलाके में हिमस्खलन होने से सैनिक अरुण काटल शहीद हो गए थे। 6 दिनों के बाद शनिवार को शहीद का पार्थिव शरीर पठानकोट से आर्मी के वाहन से जंडोर गांव उनके पैतृक आवास पर लाया गया और लखनपुर रावी दरिया मे शहीद अरुण का अंतिम संस्कार किया गया।
शनिवार की दोपहर 1 बजे जैसे ही जंडोर गांव में सेना वाहन में तिरंगे में लिपटा 25 वर्षीय जवान बेटे का पार्थिव शरीर घर की दहलीज पर पहुंचा तो मां तृप्ता देवी का मानो कलेजा फट सा गया हो। देर तक वह अपने बेटे के पार्थिव शरीर को निहारती रही और फिर उससे लिपटकर बिलखने लगी। यही हाल शहीद की पत्नी सुनीता का था। पति के शव को देखते ही वह बेसुध हो गई। सेवानिवृत्त सैनिक एवं शहीद के पिता परलाद सिंह भी गमगीन हो गए। उन्होंने किसी तरह अपने को संभाला और फिर घर के सदस्यों को संभालने का प्रयास करने लगे। पिता बोले कि बेटे पर गर्व है। उसने देश के लिए शहादत दी। लेकिन पूरी उम्र बेटे का गम उन्हें रहेगा।
अंतिम यात्रा के दौरान सड़क के दोनों किनारों पर स्कूली छात्र छात्राओं और अंतिम दर्शनों के लिए खड़े लोगों ने पार्थिक शरीर पर पुष्प वर्षा की और भारत माता की जय के नारे लगाए गए। जंडोर गांव से लखनपुर तक करीब 4 किलोमीटर के इस पूरे रास्ते में भारत माता की जय, शहीद अरुण काटल अमर रहें के जयकारों से गूंज उठा। पिता परलाद सिंह, माता तृप्ता देवी, पत्नी सुनीता देवी, और भाई अमन काटल समेत सभी परिजन ताबूत से लिपटकर बिलखते रहे। अंतिम दर्शनों के बाद घर से तीन बजे अंतिम यात्रा शुरू हुई। लखनपुर शमशान घाट पर सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर शहीद को अंतिम विदाई दी। उनके अंतिम संस्कार में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। अंतिम संस्कार होने तक लोगों ने जब तक सूरज चांद रहेगा अरुण काटल तेरा नाम रहेगा…, शहीद अरुण काटल अमर रहे… के नारे लगाए।
पीएमओ डॉ जितेंद्र सिंह सहित जिला प्रशासन भी शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए लखनपुर पहुंचे और रावी दरिया शमशान घाट मे शहीद को श्रद्धांजलि दी। पीएमओ ने शहीद के पिता और परिवार के सदस्यों को ढांढस बंधाया और पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि शहीद अरुण की कमी परिवार वालों को खलती रहेगी जिसे हम पूरा नहीं कर सकते। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से जो भी मदद होगी वह उसके लिए हर प्रयास करेंगे। जिस प्रकार जम्मू कश्मीर के युवा अपने देश के लिए प्राणों की आहुति दे रहे हैं, यह हमारे प्रदेश का सौभाग्य है कि ऐसे वीर पुत्र का इस प्रदेश में जन्म हुआ है। उनकी कमी को तो पूरा नहीं कर सकते लेकिन उनकी शहादत जाया नहीं जाएगी, जो भी सरकार की ओर से मदद रहेगी वह इस परिवार को दी जाएगी।
कठुआ, 12 फरवरी (हि.स.)। 6 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में ऊंचाई पर स्थित इलाके में हिमस्खलन होने से सैनिक अरुण काटल शहीद हो गए थे। 6 दिनों के बाद शनिवार को शहीद का पार्थिव शरीर पठानकोट से आर्मी के वाहन से जंडोर गांव उनके पैतृक आवास पर लाया गया और लखनपुर रावी दरिया मे शहीद अरुण का अंतिम संस्कार किया गया।
शनिवार की दोपहर 1 बजे जैसे ही जंडोर गांव में सेना वाहन में तिरंगे में लिपटा 25 वर्षीय जवान बेटे का पार्थिव शरीर घर की दहलीज पर पहुंचा तो मां तृप्ता देवी का मानो कलेजा फट सा गया हो। देर तक वह अपने बेटे के पार्थिव शरीर को निहारती रही और फिर उससे लिपटकर बिलखने लगी। यही हाल शहीद की पत्नी सुनीता का था। पति के शव को देखते ही वह बेसुध हो गई। सेवानिवृत्त सैनिक एवं शहीद के पिता परलाद सिंह भी गमगीन हो गए। उन्होंने किसी तरह अपने को संभाला और फिर घर के सदस्यों को संभालने का प्रयास करने लगे। पिता बोले कि बेटे पर गर्व है। उसने देश के लिए शहादत दी। लेकिन पूरी उम्र बेटे का गम उन्हें रहेगा।
अंतिम यात्रा के दौरान सड़क के दोनों किनारों पर स्कूली छात्र छात्राओं और अंतिम दर्शनों के लिए खड़े लोगों ने पार्थिक शरीर पर पुष्प वर्षा की और भारत माता की जय के नारे लगाए गए। जंडोर गांव से लखनपुर तक करीब 4 किलोमीटर के इस पूरे रास्ते में भारत माता की जय, शहीद अरुण काटल अमर रहें के जयकारों से गूंज उठा। पिता परलाद सिंह, माता तृप्ता देवी, पत्नी सुनीता देवी, और भाई अमन काटल समेत सभी परिजन ताबूत से लिपटकर बिलखते रहे। अंतिम दर्शनों के बाद घर से तीन बजे अंतिम यात्रा शुरू हुई। लखनपुर शमशान घाट पर सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर शहीद को अंतिम विदाई दी। उनके अंतिम संस्कार में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। अंतिम संस्कार होने तक लोगों ने जब तक सूरज चांद रहेगा अरुण काटल तेरा नाम रहेगा…, शहीद अरुण काटल अमर रहे… के नारे लगाए।
पीएमओ डॉ जितेंद्र सिंह सहित जिला प्रशासन भी शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए लखनपुर पहुंचे और रावी दरिया शमशान घाट मे शहीद को श्रद्धांजलि दी। पीएमओ ने शहीद के पिता और परिवार के सदस्यों को ढांढस बंधाया और पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि शहीद अरुण की कमी परिवार वालों को खलती रहेगी जिसे हम पूरा नहीं कर सकते। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से जो भी मदद होगी वह उसके लिए हर प्रयास करेंगे। जिस प्रकार जम्मू कश्मीर के युवा अपने देश के लिए प्राणों की आहुति दे रहे हैं, यह हमारे प्रदेश का सौभाग्य है कि ऐसे वीर पुत्र का इस प्रदेश में जन्म हुआ है। उनकी कमी को तो पूरा नहीं कर सकते लेकिन उनकी शहादत जाया नहीं जाएगी, जो भी सरकार की ओर से मदद रहेगी वह इस परिवार को दी जाएगी।