नई दिल्ली, 08 फरवरी (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की एसआईटी से जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टाल दिया है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जयराम भांभानी की बेंच ने 16 फरवरी को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दो याचिकाकर्ताओं लॉयर्स वॉयस और शेख मुज्तबा फारुख को जरूरी पक्षकारों को पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल करने की अनुमति दे दी। कोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे हिंसा फैलाने के लिए जिन्हें जिम्मेदार मानते हैं उन्हें पक्षकार भी बनाइए। शेख मुज्तबा की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच करने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने भी दंगा भड़काने में मदद की लेकिन एक भी एफआईआर दिल्ली पुलिस के खिलाफ दर्ज नहीं किया गया है।
लॉयर्स वॉयस की ओर से वकील सोनिया माथुर ने कहा कि वो भी कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ हेट स्पीच संबंधी एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रही हैं। उसके बाद कोर्ट ने दोनों को उन नेताओं को भी पक्षकार बनाने के लिए अर्जी दाखिल करने का निर्देश दिया।
दरअसल ये याचिकाएं पिछले 28 फरवरी को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की बेंच से ट्रांसफर कर दी गई थीं। जिसके बाद चार फरवरी को ये याचिकाएं जस्टिस सिद्दार्थ मृदुल के समक्ष लिस्ट की गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सभी वकीलों से कहा था कि वे अपनी याचिकाओं में की गई मांगों की पहचान कर एक कर लें ताकि कोर्ट को उन पर सुनवाई करने में आसानी हो। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से वकील रजत नायर ने कहा था कि हिंसा के मामलों की जांच काफी आगे बढ़ गई है और एफआईआर दर्ज किए जा चुके हैं। कई मामलों में आरोप तय किए जा चुके हैं और ट्रायल शुरू हो चुका है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस चीफ जस्टिस की बेंच के समक्ष लगातार स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करती रही है।
28 जून को दिल्ली पुलिस ने दिल्ली हिंसा से जुड़े 758 एफआईआर को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर कहा था कि 758 एफआईआर में से 695 एफआईआर पर जांच चल रही है। दिल्ली पुलिस ने एसआईटी के गठन की मांग का विरोध करते हुए कहा है कि उसकी जांच निष्पक्ष, ईमानदार और सभी दृष्टिकोण से पूर्ण है। दिल्ली पुलिस ने कहा है कि याचिकाकर्ताओं ने जो आरोप लगाए हैं वे पूरे तरीके से बेबुनियाद और प्रेरित हैं। सभी एफआईआर की जांच अपराध प्रक्रिया संहिता के प्रावधानों के मुताबिक चल रही है। ऐसे में इन मामलों को एसआईटी को सौंपने का कोई मतलब नहीं है।
दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि 62 एफआईआर दिल्ली हिंसा के दौरान हत्या इत्यादि जैसे बड़े मामलों से जुड़े हुए हैं। इन मामलों की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है। क्राइम ब्रांच में तीन विशेष जांच टीम काम कर रही है। इन जांच टीमों की निगरानी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कर रहे हैं। एक एफआईआर दिल्ली हिंसा की साजिश रचने से जुड़ा हुआ है, जिसकी जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कर रही है।
बतादें कि 25 नवंबर 2021 को चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वो दिल्ली हिंसा से जुड़े सभी मामलों की विस्तृत जानकारी बताए। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वो अपने हलफनामे में ये दिल्ली हिंसा की जांच के उठाए गए कदमों की जानकारी दे। दरअसल सुनवाई के दौरान जमियत उलेमा-ए-हिंद की ओर से वकील जून चौधरी ने कहा था कि अक्टूबर 2021 में दिल्ली पुलिस ने जो रिपोर्ट दाखिल की थी उसमें कई जानकारियां नहीं हैं। उन्होंने इस मामले की सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एसआईटी से निष्पक्ष जांच का दिशानिर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने मांग की थी कि इस एसआईटी में दिल्ली पुलिस के किसी भी अधिकारी को नहीं रखा जाए।
इसके पहले हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की ओर से जांच में की जा रही देरी पर चिंता जताई थी। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों की जांच और नेताओं के हेट स्पीच के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था कि वे सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा और दूसरे नेताओं के भाषणों की पड़ताल कर रही है कि कहीं उनका दिल्ली की हिंसा से तो संबंध नहीं है।
12 मार्च 2020 को कोर्ट ने दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस समेत उन नेताओं को नोटिस जारी किया था जिनके खिलाफ हेट स्पीच के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। अलग-अलग याचिकाओं में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, वारिस पठान, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा, और प्रवेश वर्मा के खिलाफ दाखिल की गई थी। याचिकाओं में इन नेताओं के खिलाफ जल्द एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। याचिकाओं में कहा गया था कि हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई स्थगित कर गलत किया।
27 फरवरी 2020 को दिल्ली हाई कोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई टालते हुए 13 अप्रैल 2020 को सुनवाई करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने की अनुमति दी थी। हाई कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 4 मार्च 2020 को हाई कोर्ट को निर्देश दिया था कि मामले की सुनवाई जल्द कर फ़ैसला लें।