Jamaat-e-Islami Hind : विधानसभा चुनावों में धर्म-जाति से ऊपर उठकर बुनियादी मुद्दों पर हो जोरः जमात-ए-इस्लामी

नई दिल्ली, 5 फरवरी (हि.स.)। जमात-ए-इस्लामी हिन्द ने आज एक वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस करके इस बात पर जोर दिया है कि पांच राज्यों में होने वाले आगामी विधान सभा चुनावों में बेरोज़गारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि एवं महिला सशक्तीकरण जैसे वास्तविक बुनियादी समस्याओं पर जोर दिया जाना चाहिए। जनता को चाहिए कि वह ऐसे लोगों का साथ दें, जो सम्मानित प्रदेश, लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान, न्याय और भाईचारा, साम्प्रदायिक सौहार्द्र, सहनशीलता के लिए संघर्ष करते हैं। यह बातें जमात-ए-इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने वर्चुअल प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कही है।

केंद्रीय बजट पर उन्होंने कहा कि इस बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र और अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए सुनिश्चित किए गए फंड बहुत कम हैं। शिक्षा क्षेत्र के लिए फंड में बढ़ोतरी के बावजूद हम अब भी सकल घरेलू उत्पाद का छह फीसद प्रस्तावित लक्ष्य तक पहुंचने से बहुत दूर हैं। यह बजट आम आदमी के अपेक्षा कार्पोरेटरों के हितों के पक्ष में अधिक है। इसमें आम आदमी को कर में कोई राहत नहीं दी गई है। ग्रामीण रोजगार योजना ‘मनरेगा’ के बजट को कम करना चिंताजनक है। प्रोफेसर सलीम ने ‘ऑक्सफैम रिपोर्ट’ का हवाला देते हुए कहा कि जब देश में 84 प्रतिशत परिवारों को एक वर्ष में अपनी आय में भारी गिरावट का सामना करना पड़े तो उस समय भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की सामूहिक संपत्ति 2021 में 573 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच जाए तो यह चिंता की बात है। यह रिपोर्ट हमारे देश में आमदनी के बंटवारे में बड़े पैमाने पर होने वाले अंतर को उजागर करती है।

इस अवसर पर जमात के राष्ट्रीय सचिव मलिक मोतसिम खान ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में कुछ लोगों की तरफ से विकास के योजनाओं को गिनाने की बजाय धार्मिक आधार पर समुदायों को बांटने वाले मुद्दों को उठाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे लोगों को पार्टियों को सत्ता से दूर रखना देश के हित में है। उन्होंने कहा कि अवाम धर्म और जाति से ऊपर उठकर उम्मीदवार के नैतिकता और चरित्र को देख कर वोटिंग करें और वे पार्टियां जो नफरत को बढ़ावा देती हैं और उनके पास कोई व्यापक योजना नहीं है, उन्हें चुनाव में पराजित करें।

जमात की राष्ट्रीय सचिव रहमतुन्निसा ने कर्नाटक में छात्राओं के साथ हुए स्कार्फ के मुद्दे पर सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस तरह का मुद्दा यदा-कदा देश के अन्य राज्यों में उठता रहता है, जो एक लोकतांत्रिक देश के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। यहां का संविधान सभी को मौलिक अधिकार देता है कि वे अपनी मर्जी का वस्त्र धारण करें। कुछ लोग वस्त्र को एक समुदाय के साथ जोड़ कर राजनीतिक और साम्प्रदायिक मुद्दा बनाना चाहते हैं। इस तरह की कोशिशों पर रोक लगाई जानी चाहिए। कान्फ्रेंस में बिहार और उत्तर प्रदेश में रेलवे में भर्ती से सम्बंधित कथित अनियमितताओं के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शनों पर भी चर्चा की गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *