नई दिल्ली, 04 फरवरी (हि.स.)। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असद्दुदीन ओवैसी ने शुक्रवार को लोकसभा में खुद पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें सरकार की ओर से दी गई जेड श्रेणी की सुरक्षा की जरूरत नहीं है तथा वे इसे नामंजूर करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें जेड सुरक्षा नहीं प्रथम श्रेणी के नागरिक का अधिकार चाहिए।
उत्तर प्रदेश में गुरुवार को उनके वाहन पर गोली चलाए जाने की घटना के बाद पहली बार लोकसभा में अपने भाषण में ओवैसी ने कहा कि देश में मजहबी कट्टरता बढ़ रही है, जिसे रोकने के लिए सरकार को प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
ओवैसी ने लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि दौलत के आधार पर यह कहना कि गरीब और अमीर के दो भारत है, ये उचित नहीं है। हकीकत में दो भारत हैं, एक मोहब्बत भरा भारत और दूसरा नफरत से भरा भारत।
एआईएमआईएम नेता ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2015 में केंद्र सरकार को गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा प्रकोष्ठ के तहत मजहबी कट्टरवाद को रोकने के लिए अभियान चलाने का सुझाव दिया था। उन्होंने कहा कि सभी मजहबों के लोगों में कट्टरवादिता को रोकने के लिए उपाय किए जाने की जरूरत है। उन्होंने सरकार को आगाह किया कि देश में दक्षिणपंथी कट्टरवाद और आतंकवाद उभरने की आशंका है।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग बैलेट की बजाय बुलेट पर भरोसा करते हैं। ऐसे लोगों का भीमराव अंबेडकर के संविधान पर विश्वास नहीं है।
ओवैसी ने कहा कि उन्होंने 6 फीट के फासले से गोली चलते देखी है लेकिन वह इससे घबराने वाले नहीं हैं। उन्हें जेड सुरक्षा की जरूरत नही है। वह देश के एक अहम नागरिक की तरह ही अपने लिए एक सुरक्षित माहौल चाहते हैं।
ओवैसी ने उनका कुशलक्षेम जानने के लिए लोकसभा अध्यक्ष का आभार व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर मामूली टिप्पणियों को लेकर गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून (यूएपीए) के साथ कार्रवाई की जाती है जबकि सांसद पर हुए हमले के संबंध में ऐसा नहीं होता। उन्होंने हमलावरों के खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई की मांग की। साथ ही उन्होंने हरिद्वार, रायपुर और प्रयागराज में आयोजित विवादास्पद कार्यक्रमों में नफरत फैलाने वाले भाषणों की निंदा करते हुए वक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।