नई दिल्ली, 04 फरवरी (हि.स.)। लोकसभा में शुक्रवार को सभी दलों ने दलगत भावना से ऊपर उठकर अध्यक्षपीठ पर एक सदस्य की टिप्पणी के लिये खेद जताया और अध्यक्ष ओम बिरला के साथ एकजुटता दिखाई।
सदन में प्रश्नकाल की कार्यवाही पूरी होने के बाद अध्यक्ष बिरला ने एक सदस्य की ओर से अध्यक्षपीठ पर की गई टिप्पणियों पर कड़ा रुख अपनाते हुये नाखुशी जताई। उन्होंने कहा कि सदन के भीतर और बाहर अध्यक्षपीठ पर टिप्पणी सदन की गरिमा और मर्यादा का उल्लंघन है।
इसी संदर्भ में आगे उन्होंने कहा कि सदन की मर्यादा उच्च कोटि की है, जिसका सम्मान सभी माननीय सदस्य करते हैं। आसन का प्रयास होता है कि सदन निष्पक्ष रूप से नियम और प्रक्रियाओं से संचालित हो। आसन का प्रयास रहता है जो सभापति है, वह निष्पक्ष रहे। आसन के बारे में किसी प्रकार की टिप्पणी न सदन के भीतर करनी चाहिए, न बाहर करनी चाहिये।
बिरला ने आगे कहा कि अध्यक्षपीठ पर बैठने वाले सदस्य को भी अध्यक्ष के सभी संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं। सदस्य या किसी अन्य व्यक्ति को आसन के बारे में टिप्पणी नहीं करनी चाहिये। इससे हमारे संसदीय लोकतंत्र पर आघात पहुंचता है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन के भीतर और बाहर की जाने वाली टिप्पणियों को मैंने गंभीरता से लिया है। उन्होंने किसा का नाम लिये बिना कहा कि सदस्य सदन में और सदन के बाहर या फिर सोशल मीडिया पर टिप्पणी न करें। यही उचित होगा।
आगे उन्होंने कहा कि हमारा व्यवहार, आचरण सदन की मर्यादा के अनुकूल हो। उन्होंने उम्मीद जतायी कि सभी सदस्य सदन और आसन की गरिमा बढ़ाने में सहयोग करेंगे। कांग्रेस, बसपा, द्रमुक समेत तमाम दलों ने एकजुट होकर अध्यक्ष की भावना का समर्थन किया।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन में चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस की सदस्य महुआ मोइत्रा को पीठासीन अधिकारी रमा देवी ने भाषण समाप्त करने के लिये कहा था। इस पर नाराज मोइत्रा ने सदन के बाहर मीडिया से बातचीत की और ट्वीट कर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।