नई दिल्ली, 03 फरवरी (हि.स.)। तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने गुरुवार को लोकसभा में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का संदर्भ लेते हुए केन्द्र सरकार की कई विषयों पर आलोचना की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के भाषण में स्वतंत्रता सेनानियों का जिक्र महज खानापूर्ति था।
मोइत्रा ने कहा कि राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में कई स्थानों पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का जिक्र किया है। उन्होंने हमेशा कहा था कि भारत को धर्म के प्रति बेहद तटस्थ और निष्पक्ष रवैया रखना चाहिए। तृणमूल सांसद ने पूछा कि “क्या नेताजी हरिद्वार धर्म संसद को मंजूरी देते जो मुस्लिम नरसंहार के लिए खून-खराबा करने का आह्वान करती है।”
तृणमूल नेत्री ने आगे कहा कि नेताजी का प्रतीक चिन्ह टीपू सुल्तान का वसंत बाघ था। वही टीपू सुल्तान, जिसका जिक्र सरकार ने पाठ्यक्रम की पुस्तकों से हटा दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि आईएनए का आदर्श वाक्य तीन उर्दू शब्द थे – एतिहाद, एत्माद और कुर्बानी (एकता, विश्वास और बलिदान)। वही उर्दू भाषा है जिसे जम्मू-कश्मीर की पहली और आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी के साथ बदलने के लिए सरकार बहुत खुश है।
तृणमूल सांसद ने इसके बाद सदन के बाहर आकर कहा कि उन्हें बोलने के लिए 13 मिनट दिए गए थे लेकिन उन्हें अपनी बात नहीं रखने दी गई। उन्होंने कहा कि सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट होकर सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ लड़ना चाहिए।