Economist : बजट में दिखी आजादी के 100वें वर्ष तक की रूपरेखा: अर्थशास्त्री

लखनऊ, 01 फ़रवरी (हि.स.)। प्रधानमंत्री मोदी ने अगले 25 साल को आजादी का अमृत काल कहा है। 2047 में आजादी के 100 साल पूरे होंगे। इसको (अगले 25 वर्ष) आधार मानकर बजट का प्रावधान किया गया है। इस बजट में तात्कालिक लोकलुभावन घोषणाओं से परहेज करते हुए दीर्घकालीन सतत विकास की दिशा में एक कदम है। बजट में किसी को खुश करने की सरकार की कोई कोशिश नहीं दिख रही है। सरकार ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की जिससे लोग खुश हों। यह बातें लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर यशवीर त्यागी ने हिन्दुस्थान समाचार से बातचीत के दौरान की।

उन्होंने कहा कि सरकार ने आर्थिक विकास को मजबूती प्रदान करने का प्रावधान इस बजट में किया है। वैसे तो सभी क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया है लेकिन मुझे मुख्य बात लगी कि अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने का प्रयास किया गया है। डिजिटल इंडिया को बहुत बढ़ावा दिया गया है। यह भी कहा गया है कि एक डिजिटल विश्वविद्यालय बनाया जाएगा। डिजिटल इंडिया के दूसरे सहयोगी कार्यक्रम जैसे बैंकिंग, अर्थ, शिक्षा, ई-कॉमर्स को आगे बढ़ाने का प्रयास साफ दिखाई दिया है। कोविड काल के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई की बात आई तो बहुत सारी समस्यायें सामने आईं। उसे दूरे करने के लिए प्रधानमंत्री की ई-विद्या योजना है। पहले क्षेत्रीय भाषाओं में पाठ्यक्रम नहीं मिलते थे। सरकार ने 200 चैनल करने के साथ ही क्षेत्रीय भाषाओं पर भी जोर दिया है। क्षेत्रीय भाषा में पाठ्यक्रम भी विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध होगा। अध्यापक ई-कंटेंट बनाएंगे और शिक्षा सर्व सुलभ हो जाएगी। घर बैठकर लोग पढ़ाई कर सकेंगे। सरकार का जोर है कि देश के युवा पढ़ाई करके केवल सरकारी नौकरी की तरफ न भागें। वह कौशल विकास आधारित शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार हासिल करें। इस हिसाब से सरकार ने अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने का प्रयास किया है।

प्रोफेसर त्यागी ने हिन्दुस्थान समाचार से कहा कि सरकार ने अपने बजट के माध्यम से राज्यों को भी सुविधा दी है। राज्यों को 50 साल के लिए ब्याज मुक्त धनराशि देने का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार कई ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिससे हम दो अंकों की विकास दर को भविष्य में अर्जित कर सकते हैं। क्रिप्टो करेंसी में निवेश रोकने के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा और यदि लोग करते हैं तो उनके मुनाफे में 30% का टैक्स लिया जाएगा। इसके साथ ही भारत सरकार अपनी एक करेंसी शुरू करेगी। सेंट्रल बैंक अपनी डिजिटल करेंसी जारी करेगा। इससे डिजिटल रुपये का लेनदेन बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भारत की आधी आबादी नगरों में निवास करेगी। इसलिए जो छोटी आबादी वाले शहर हैं, वहां भी अर्बन प्लानिंग की जरूरत है। एक कमेटी बनाकर छोटे शहरों की अर्बन प्लानिंग की जाएगी। सरकार का यह एक अच्छा कदम साबित होगा। इससे लोगों की जन सुविधाएं तो बढ़ेंगी ही पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

सरकार ग्रीन एनर्जी और ग्रीन टेक्नोलॉजी को भी बढ़ावा दे रही है इसमें सोलर एनर्जी, मॉस एनर्जी, एथेनॉल को बढ़ावा देने की बात जैसी कई चीजें शामिल की गई हैं। पर्यावरण से विकास को जोड़ने का सरकार का प्रयास सराहनीय कदम है। ऐसे विकास का कोई अर्थ नहीं है जिससे पर्यावरण दूषित हो जाए। इससे क्वालिटी ऑफ लिविंग बेहतर होगी। इस लिहाज से कहा जा सकता है कि सरकार के ऐसे सभी कदम का असर दीर्घकालिक होगा। तात्कालिक असर नहीं दिखाई देगा। कोई बड़ी घोषणा न करके सरकार का मानना है कि इस बजट के माध्यम से उन्होंने एक दीर्घकालीन विकास की नींव तैयार की है। बजट को भी सरकार ने बढ़ाया है। बजट में अनुशासन दिख रहा है। विकास के लिए धन आवंटन करने में भी सरकार ने कोई कोताही नहीं बरती है। यह बात जरूर कही जा सकती है कि लोगों की जो आशाएं थीं, उस पर सरकार ने बहुत ज्यादा फोकस नहीं किया है। जैसे कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों को रोकने का सरकार का कोई विशिष्ट प्रयास नहीं दिखाई दिया है। पेट्रोलियम उत्पादों के बढ़े दाम महंगाई का बहुत बड़ा कारण है। इस बजट से मध्यमवर्ग को निराशा ही हाथ लगी है। टैक्स में भी कोई छूट नहीं दी गयी है। अगर वित्त मंत्री जी मध्यम वर्ग को इस तरह से कोई छूट देतीं तो बेहतर होता। वह भी हमारा एक बड़ा सेक्टर है। उसे अलग करके नहीं देखा जा सकता है।

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