पटना, 01 फरवरी (हि.स.)। सेंटर फॉर इकॉनोमिक पॉलिसी एंड पब्लिक फाइनेंस पटना के अर्थशास्त्री और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुधांशु कुमार ने हिन्दुस्थान समाचार से विशेष बातचीत में कहा कि उम्मीद भरे आर्थिक सूचकांकों के बीच प्रस्तुत बजट आर्थिक विकास की गति को बढ़ावा देने के लिए सूझ-बूझ के साथ खर्च को बढ़ाने की योजना प्रस्तुत करने की कोशिश है। हालांकि, इस कड़ी में सीमित राजस्व के कारण तात्कालिक लोकप्रियता वाली घोषणाओं से बचते हुए आर्थिक विकास की दीर्घकालिक रणनीति पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
अर्थशास्त्री डॉ सुधांशु ने कहा कि इस वर्ष के बजट भाषण में किसी खास राज्य की विशेष चर्चा नहीं की गई है। अतः राज्य विभिन्न योजनाओं के विस्तृत विवरण के हिसाब से अपने विकास की दिशा में लाभान्वित होते रहेंगे। बजट आने वाले वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय को 35.5 प्रतिशत बढा कर 7.5 लाख करोड़ करने की घोषणा करता है। साथ ही राज्यों को भी पूंजीगत व्यय बढाने के लिए बिना ब्याज के 50 वर्ष की अवधि का कर्ज देने की घोषणा की है। यह सरकारी खर्च न केवल आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी बल्कि आने वाले समय में निजी निवेश की पृष्ठभूमि भी तैयार करेगा। इस दौरान बढ़ता सरकारी कर्ज असहज तो करता है लेकिन परिस्थितिवश अपरिहार्य है। बिहार इस खर्च का उपयोग कर लाभान्वित हो सकेगा।
प्रोफेसर सुधांशु ने कहा कि बजट आने वाले समय के आर्थिक विकास के नीति की रूपरेखा भी प्रस्तुत करता है जो की पहले से चली आ रही नीतियों से अलग है। इससे आने वाले समय में आर्थिक विकास के लिए जरूरी व्यापक संरचनात्मक सुधार की गुंजाइश दिखती है। सरकार के खर्च का एक बड़ा हिस्सा आधारभूत संरचना, कृषि और एमएसएमई सेक्टर्स पर होने की घोषणा की गई है।
कृषि क्षेत्र में सहयोग सीधा किसानों के बैंक खतों में राशि स्थानांतरित करने पर जोर देता है। साथ ही नयी तकनीक का उपयोग मूल्य संवर्धन के लिए करने में सहयोग करने की योजना है। एमएसएमई सेक्टर्स को पूंजी का सहयोग जारी रखते हुए इसे और बढाया गया, जिससे की छोटे एवं मध्यम स्तर के व्यवसायों में उत्पादकता बढ़ने की आशा है।
सुधांशु ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बढ़ावा देने की प्रोत्साहन योजना जारी रहेगी। इन क्षेत्रों से आर्थिक विकास के साथ साथ रोजगार के अवसर भी सृजित होने की उम्मीद है। शिक्षा के क्षेत्र में तकनीक के व्यापक उपयोग को बढ़ावा देने के साथ गुणवत्तापूर्ण पठन सामग्री विकसित करने पर जोर रहेगी। तकनीक के बढ़ते प्रयोग से वित्तीय लेनदेन में भी सहूलियत होती है इसको ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक अपनी डिजिटल मुद्रा जरी करेगी।
साथ ही सभी डाकघरों को बैंकों में बदलने से अधिक से अधिक लोगों तक बैंकिंग सुविधाओं का लाभ पहुंचाया जा सकेगा। इनमे से कई प्रयासों से बिहार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से लाभान्वित हो सकेगा। इन विकासोन्मुखी घोषणाओं में सबसे बड़ी चुनौती इनको योजना के मुताबिक लागू करने और इसके लिए जरूरी धनराशि का उपाय करना है। इसमें अच्छे आर्थिक विकास की उम्मीद जागते हुए आर्थिक सूचकांको के आंकडे कर राजस्व में वृद्धि के संकेत दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने विकास को बढ़ावा देने के लिए राजकोषीय घाटे को भविष्य पर टाल दिया है। इससे आने वाले समय में महंगाई के बढ़ते दवाब के कारण भारतीय रिज़र्व बैंक की चुनौती बढ़ सकती है। साथ ही बजटीय घोषणाएं रोजगार एवं महंगाई को लेकर कुछ तात्कालिक समाधान की उम्मीद नहीं जगा पा रही है।