नई दिल्ली, 01 फरवरी (हि.स.)। संसद में मंगलवार को पेश किये गए वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए कई अहम घोषणाएं की गई हैं। डिफेंस सेक्टर में आयात घटाने और देश को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया है। इसके अलावा डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट इंडस्ट्री के लिए डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट खोले जाने और स्टार्ट-अप कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने की व्यवस्था की गई है। रक्षा क्षेत्र में इस साल 68% खरीददारी घरेलू कंपनियों से की जाएगी।
केंद्रीय बजट 2022-23 में कुल 39.45 लाख करोड़ रुपये के परिव्यय की परिकल्पना की गई है। इसमें से रक्षा मंत्रालय को कुल 5.25 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जो कुल बजट का 13.31% है। इसमें रक्षा पेंशन के लिए 1.19 लाख करोड़ रुपये की राशि शामिल है। सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित पूंजी आवंटन को काफी बढ़ाकर 1.52 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। यह वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में 17,308 करोड़ रुपये (12.82%) ज्यादा है। इसके अलावा 2019-20 से पूंजीगत बजट में संचयी वृद्धि 48,975 करोड़ रुपये (47.37%) रही है।
बजट का 25 फीसदी हिस्सा डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट को इंडस्ट्री, स्टार्टअप्स और एकेडेमिक के लिए आरक्षित किया गया है। सैन्य साजो-सामान बनाने के लिए प्राइवेट इंडस्ट्री को प्रोत्साहित किया जाएगा। प्राइवेट इंडस्ट्री डीआरडीओ और दूसरे संगठनों के साथ मिलकर काम कर सकेंगी। 2022-23 में डिफेंस में 68 फीसदी कैपिटल प्रॉक्योरमेंट बजट घरेलू इंडस्ट्री के लिए रखा गया है जो पिछले वित्त वर्ष में 58 फीसदी था। यानी अगले वित्त वर्ष में 68 फीसदी खरीददारी घरेलू इंडस्ट्री से की जाएगी। पिछले साल सरकार ने रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ रुपये का रखा था। उससे पहले साल 2020-2021 में यह बजट 4.71 लाख करोड़ रुपये का था। देश के रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा सैनिकों के वेतन और पूर्व सैनिकों की पेंशन में चला जाता है।
भारतीय तटरक्षक, सीमा सड़क संगठन और महानिदेशालय रक्षा संपदा आदि संगठनों के लिए बजट के कैपिटल सेगमेंट में 55.60% की उछाल हुई है। कुल मिलाकर यह राशि वित्त वर्ष 2022-23 में 8,050 करोड़ रुपये है, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 5,173 करोड़ रुपये थी। इसके अतिरिक्त, तटीय सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भारतीय तटरक्षक बल के पूंजीगत बजट को वित्त वर्ष 2022-23 में 60.24% बढ़ाकर 4,246 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 2,650 करोड़ रुपये थी। इस वृद्धि का उद्देश्य जहाजों और विमानों के अधिग्रहण, बुनियादी ढांचे में वृद्धि, तटीय सुरक्षा नेटवर्क की स्थापना और तकनीकी और प्रशासनिक सहायता संरचनाओं के निर्माण जैसी परिसंपत्तियों का निर्माण करना है।
वित्त वर्ष 2022-23 में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का पूंजी बजट 40% बढ़ाकर 3,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में यह राशि 2,500 करोड़ रुपये थी। इससे महत्वपूर्ण सुरंगों (सेला और नेचिफू सुरंग) और प्रमुख नदियों पर पुलों सहित सीमावर्ती बुनियादी ढांचे के निर्माण की प्रगति में तेजी आएगी। समग्र समुद्री सुरक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 46,323 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ भारतीय नौसेना के पूंजीगत बजट में 44.53% की वृद्धि की गई है। इस वृद्धि का उद्देश्य नए प्लेटफार्मों का अधिग्रहण, संचालन और सामरिक बुनियादी ढांचे का निर्माण और भविष्य के लिए विश्वसनीय समुद्री बल का निर्माण करना है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि बजट में ‘आत्मनिर्भर भारत’ और सरकार के विकास कार्यक्रम पर फोकस किया गया है। उन्होंने विकासोन्मुखी बजट करार देते हुए आरएंडडी बजट का 25 प्रतिशत स्टार्टअप और निजी संस्थाओं के लिए आरक्षित करने के प्रस्ताव को एक उत्कृष्ट कदम बताया। रक्षा मंत्री ने इस तथ्य की सराहना की कि इस वर्ष के बजट ने प्रभावी पूंजीगत व्यय के लिए कुल परिव्यय को 35.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 10.6 लाख करोड़ से अधिक कर दिया है, जिसमें से अधिकांश धन देश में सामाजिक और भौतिक बुनियादी ढांचे के विकास में जा रहा है। घरेलू खरीद के लिए रक्षा पूंजी खरीद बजट का 68 प्रतिशत आवंटन पर राजनाथ सिंह ने कहा कि निश्चित रूप से यह बजट घरेलू रक्षा उद्योगों को बढ़ावा देगा।