गुवाहाटी, 03 मई (हि.स.)। असम विधानसभा चुनाव की मतगणना रविवार की सुबह आठ बजे आरंभ हुई, जो देर रात तक चलती रही। घोषित नतीजों के बाद राज्य के प्रमुख राजनेताओं को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है।
हारने वाले प्रमुख नेताओं में असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा समेत कई अन्य प्रभावशाली नेता शामिल हैं। वहीं, नव गठित पार्टी असम जातीय परिषद के अध्यक्ष लुरिन ज्योति गोगोई नाहरकटिया विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार तरंग गोगोई से चुनाव हार गए हैं।
बीपीएफ नेता और मंत्री प्रमीलारानी ब्रह्म कोकराझार पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से यूपीपीएल उम्मीदवार लॉरेंस इस्लारी से चुनाव हार गई हैं। बीपीएफ उम्मीदवार व मंत्री चंदन ब्रह्म भी इस चुनाव में हारने वाले नेताओं में से एक हैं। सिडली विधानसभा क्षेत्र में यूपीपीएल के जयंत बसुमतारी ने चंदन ब्रह्मा को हराया है।
इसी कड़ी में असम जातीय परिषद के उम्मीदवार व विधायक पवींद्र डेका पाटाचारकुची विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रंजीत कुमार दास से भारी अंतर से चुनाव हार गए। राष्ट्रीय कांग्रेस महासचिव भूपेन बोरा बिहपुरिया विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के अमिय कुमार भुइयां से चुनाव हार गए हैं।
लखीमपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के उम्मीदवार मानव डेका के हाथों उत्पल दत्त को पराजय का मुंह देखना पड़ा है। असम जातीय परिषद के संयोजक व पूर्व मंत्री जगदीश भुइयां सदिया विधानसभा क्षेत्र से हार गए हैं। आमगुड़ी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की अंकिता दत्ता अगप के प्रदीप हजारिका से हार गईं।
देशद्रोह के मामले में करीब डेढ़ साल से जेल में बंद अखिल गोगोई ने प्रतिष्ठित शिवसागर निर्वाचन क्षेत्र से जेल में रहते हुए चुनाव लड़कर जीत हासिल की है। अखिल ने जेल से चुनाव लड़ते हुए असम की राजनीति में मिसाल कायम की है। यही वजह है कि इसबार चुनाव में शिवसागर विधानसभा क्षेत्र के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी हुई थीं। अखिल गोगोई जेल में रहते हुए अपनी नई राजनीतिक पार्टी राइजर दल का गठन कर चुनाव मैदान में उतरते हुए नागरिकता संशोधन कानून को मुद्दा बनाकर असम जातीय परिषद के साथ गठबंधन कर भाजपा और कांग्रेस को सीधे तौर पर चुनौती दी थी। अखिल गोगोई ने शिवसागर सीट से चुनाव जीतकर औपचारिक राजनीति में अपना कदम आगे बढ़ा दिया है। अब देखना होगा कि अखिल को न्यायालय से जमानत मिलती है या नहीं।