उप्र को मिला 161000 वॉयल रेमडेसीवीर, सरकारी अस्पतालों में ​मिलेगा निःशुल्क – योगी

– कोविड-19 प्रबंधन हेतु गठित टीम-11 को मुख्यमंत्री योगी ने दिया निर्देश

लखनऊ, 28 अप्रैल (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कोविड-19 प्रबंधन हेतु गठित टीम-11 के साथ तैयारियों की समीक्षा की। इस मौके पर उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल तक की अवधि के लिए उत्तर प्रदेश को रेमेडेसीवीर के 161000 वॉयल आवंटित किए हैं। एक मई से इसमें दोगुनी तक बढ़ोतरी की संभावना है। वहीं, प्रदेश के सभी सीएचसी में न्यूनतम 10-10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की उपलब्धता सुनिश्चित कराए जाने के निर्देश दिए।
योगी ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों को रेमेडेसीवीर आवंटित किया गया है। जरूरतममंदों की मदद के लिए डीएम/सीएमओ को भी रेमेडेसीवीर उपलब्ध कराया गया है। आपूर्ति के अन्य साधनों से भी संपर्क किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को यह दवा निःशुल्क उपलब्ध है। जरूरत के अनुसार निजी अस्पतालों को भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड प्रबंधन की दिशा में टीम वर्क से अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। बीते एक सप्ताह से प्रदेश के रिकवरी दर में हर दिन सुधार देखने को मिल रहा है। विगत 24 घंटे में प्रदेश में 35,903 लोग कोविड से लड़ाई जीत कर स्वस्थ हुए हैं। सभी प्रदेशवासी कोविड विहेवियर के अनुरूप आचरण करें। मास्क, सैनिटाइजर और दो गज दूरी के सिद्धांत को व्यवहार में लाएं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि चार करोड़ टेस्ट के साथ उत्तर प्रदेश सर्वाधिक कोविड टेस्ट करने वाला राज्य है। इसे लगातार बढ़ाये जाने की जरूरत है। सभी निजी और सरकारी प्रयोगशालाओं की क्षमता को दोगुना करने की कार्यवाही तेज की जाए। वहीं, प्रदेश में कोविड डेडिकेटेड बेड्स की वर्तमान क्षमता को दोगुना करने के निर्देश दिए। 
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा विभाग सरकारी व्यवस्था के साथ-साथ निजी क्षेत्र के सहयोग से बेड्स को दोगुना करना सुनिश्चित कराए। सचिव स्तर के एक अधिकारी की जिम्मेदारी इस कार्य में लगाया जाए। इसकी दैनिक मॉनिटरिंग की जानी चाहिए।
योगी ने कहा कि आपदा की स्थिति में अतिरिक्त संवेदनशील होने की जरूरत है। यदि कोई मरीज या परिजन क्षणिक आवेश में नाराजगी जाहिर करता है तो भी उससे संवेदना पूर्ण व्यवहार ही किया जाए। सभी अधिकारी फोन जरूर रिसीव करें। लगातार जनता से संपर्क में रहें। आइसीसीसी सहित सभी हेल्पलाइन को प्रभावी बनाया जाए।

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