रायपुर, 27 अप्रैल (हि.स.)। छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रमण से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी और पूर्व सांसद करुणा शुक्ला का देर रात निधन हो गया। उनका 14 अप्रैल से रामकृष्ण केयर अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनका अंतिम संस्कार बलौदाबाजार में होगा। राज्यपाल अनुसुइया उइके, सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में उनके निधन को निजी क्षति बताया और कहा कि निष्ठुर कोरोना ने मुझसे मेरी चाची को छीन लिया है। करुणा शुक्ला के पिता अवध बिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के बड़े भाई थे। वे 2014 में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। वे 1993 में पहली बार विधायक बनीं। 2004 में भाजपा के टिकट पर जांजगीर से सांसद बनी थीं। पिछले विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव सीट से तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ी थीं।
1 अगस्त 1950 के दिन ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला का जन्म हुआ था। 32 साल भाजपा में रहने के बाद उन्होंने अचानक कांग्रेस का दामन थाम लिया था। करुणा को पार्टी में लाने के लिए अजीत जोगी की अहम भूमिका बताई जाती है। भोपाल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद करुणा शुक्ला ने राजनीति में कदम रखा था।
उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा में रहते हुए बेस्ट एमएलए का खिताब भी मिला था। 1982 से 2014 तक भाजपा में रहीं करुणा शुक्ला ने 2014 में कांग्रेस ज्वॉइन की। लेकिन वे चुनाव नहीं जीत पाईं।
करुणा 1993 में पहली बार विधानसभा सदस्य चुनी गईं। 2004 के लोकसभा के चुनाव में करुणा शुक्ला ने भाजपा के लिए जांजगीर सीट जीती थी। लेकिन 2009 के चुनाव में करुणा कांग्रेस के चरणदास महंत से हार गईं थीं। पूरे छत्तीसगढ़ में करुणा ही भाजपा की एकमात्र प्रत्याशी थीं जो चुनाव हारी थीं। बाकी के राज्य की सभी सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। भाजपा में रहते हुए करुणा कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं जिनमें भाजपा महिला मोर्चा का राष्ट्रीय अध्यक्ष पद भी है।