हिंदी फिल्मों के मशहूर फिल्म एडिटर वामन भोसले का सोमवार की सुबह निधन हो गया। वह 89 साल के थे और लम्बे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर फिल्ममेकर सुभाष घई ने सोशल मीडिया पर ट्वीट कर दी है। सुभाष घई ने लिखा-‘वामन भोंसले सर की आत्मा को शांति मिले। मेरी पहली फिल्म ‘कालीचरण’ में जीनियस एडिटर, जो बाद में ‘खलनायक’ तक मेरी सभी फिल्मों के एडिटर टीचर रहे और मुझे अपनी ‘ताल’ जैसी फिल्मों की एडिटिंग के लिए प्रेरित करते रहे। एक महान टीचर।’

वामन भोसले के निधन से मनोरंजन जगत में शोक की लहर है। वामन भोसले ने 1952 में मुंबई में एडिटर डी एन पाई की निगरानी में बॉम्बे टॉकीज में एडिटिंग की ट्रेनिंग ली और फिर 12 साल तक फिल्मिस्तान स्टूडियो में बतौर असिस्टेंट एडिटर काम किया। साल 1967 में आई राज खोसला निर्देशित ‘दो रास्ते’ बतौर एडिटर वामन का पहला बड़ा प्रोजेक्ट था, जिसकी खूब सराहना हुई। इसके बाद वामन ने ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘दो रास्ते’, ‘इनकार’, ‘दोस्ताना’, ‘गुलाम’, ‘अग्निपथ’, ‘हीरो’, ‘कालीचरण’, ‘राम लखन’ और ‘सौदागर’ जैसी कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों को एडिट किया। वामन भोसले का निधन मनोरंजन जगत की अपूरणीय क्षति है।