इलाज के साथ पौष्टिक आहार से हराया कोरोना : डॉ. भानू प्रताप

इलाज के साथ पौष्टिक आहार से हराया कोरोना
होम्योपैथिक इलाज से मिली जीत
आगरा, 24 अप्रैल (हि.स.)। कोरोना के कहर से हर ओर हाहाकार मचा है। घबराये लोग इलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं। ऑक्सीजन व इंजेक्शन के लिए मारामारी हो रही है। ऐसे में ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से कोरोना योद्वाओं ने अपने अनुभव को साझा किया। आगरा के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानू प्रताप जी ने अपने आठ दिन के कोविड इलाज के दौरान किस तरह से नियमित दिनचर्या में खानपान व संयमित-संतुलित पौष्टिक आहार अपनाकर जीत प्राप्त की, इसकी जानकारी के बारे में बताया।
54 वर्षीय वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानू प्रताप ने बताया कि कोरोना को लेकर जो अफवाहें चल रही है उसे उन्होंने होम्योपैथिक इलाज से हराया है। बताया कि पौष्टिक आहार व तनाव मुक्त होकर इलाज कराया। कोरोना के इलाज में दवाओं के साथ-साथ पौष्टिक आहार ने भी अपनी भूमिका निभाई। डॉक्टर की सलाह को मानते हुये उन्होंने सोशल मीडिया के ज्ञान को अंदेखा करते हुये आठ दिन तक उपचार लेते रहे। 
होम्योपैथिक इलाज को चुना
वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि 13 अप्रैल को उनकी पॉजिटिव रिपोट आई। उससे पहले उन्होंने कोरोना की पहली डोज लगवाई थी। जिसके बाद उनको बुखार आया। कई दिन बीत जाने के बाद बुखार सही नहीं हुआ तब उन्होंने जांच कराई। जिसमें पॉजिटिव आने पर होम्योपैथिक इलाज को चुना। आगरा के नेमिनाथ होम्योपैथिक अस्पताल में इलाज कराया। इलाज में एंटीबाइटिक इंजेक्शन जरूर अंग्रेजी के लगे, बाकी उपचार होम्योपैथिक दवाओं से चला। उन्होंने बताया कि केवल 25 हजार रूपये पूरे इलाज में खर्च हुये जिसमें खाना भी शामिल हैं। 
भय से लोग अधिक परेशान
उन्होंने बताया कि, लोग भय से अधिक परेशान है। जिस इंजेक्शन को लेकर कालाबाजारी हो रही है उसका कोई उपयोग उपचार में नहीं है। ऑक्सीजन की जरूरत भी बहुत बिगडे़ हुये मामलों में होती है। उन्होंने बताया कि जब सांस लेने में दिक्कत महसूस की तो पेट के बल लेट कर खुद ही ठीक कर लिया, वो घबराये नहीं।
चिकित्सकों की रही अहम भूमिका
उपचार के दौरान चिकित्सकों की अहम भूमिका रही, तीन बार हालचाल लेने आते थे। जैसे की परेशान दिखता, तो हंसा कर चले जाते थे। उनकी बातों को बाद में याद कर में हंसता रहता था। आठ दिन के उपचार में कभी परेशानी महसूस नहीं हुई। आत्मबल को कमजोर नहीं देना चाहिए।
उनका बेटा भी कोरोना पॉजिटिव 
बेटा भी कोरोना पॉजिटिव था, उनके साथ ही इलाज कराया। उसे तीन दिन बाद ही आराम मिल गया था उसने खूब सेवा की। कोरोना मरीजों को लेकर परिजन या अन्य लोग दूरी बनाते हैं वो गलत है। घर आकर वह योग व पौष्टिक आहार ले रहे हैं।

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