सोनिया गांधी का प्रधानमंत्री को पत्र, की ‘एक देश, एक मूल्य’ की मांग

नई दिल्ली, 22 अप्रैल (हि.स.)। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कोविशील्ड वैक्सीन की कीमतों में वृद्धि तथा केंद्र व राज्यों को इस पर अलग-अलग राशि खर्च करने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार अविलंब हस्तक्षेप करते हुए इस फैसले को बदले, ताकि हर देशवासी तक वैक्सीन की पहुंच बनाने की बात को मजबूती मिले।

प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में सोनिया गांधी ने कहा है कि ‘निश्चित रूप से कोई भी समझदार व्यक्ति कोरोना टीके के अलग-अलग मूल्य के लिए राजी नहीं होगा। यह टीकाकरण अभियान तभी सफल हो सकेगा, जब देशभर में यह एक समान मूल्य पर उपलब्ध होगा।’

उन्होंने पीएम मोदी से मांग की है कि वे मूल्य वृद्धि तथा केंद्र व राज्य की स्थिति के बीच के अंतर को पाटने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करें और जनहित में फैसला लें।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पहले से ही वैक्सीन निर्माता कंपनियों के साथ करार तय है कि केंद्र सरकार को कुल वैक्सीन उत्पादन का 50 प्रतिशत मिलेगा और शेष राज्य सरकार व अन्य निजी अस्पताल सीधे तौर पर कंपनियों से खरीद सकेंगे। इसके बावजूद केंद्र की तुलना में राज्य सरकारों को वैक्सीन की खरीद के लिए अतिरिक्त धनराशि खर्च करनी पड़े तो यह सहकारी संघवाद की भावना के अनुरूप पारदर्शी और न्यायसंगत नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले से पहले से ही वित्तीय मार झेल रहे राज्यों की व्यवस्था पूरी तरह बिखर जाएगी। वैक्सीन के मूल्य को लेकर एक समान नीति बनानी चाहिए। कांग्रेस पार्टी ‘एक देश, एक दाम’ (वन नेशन, वन प्राइस) की मांग करती है।

केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि इन अभूतपूर्व समय में सरकार लोगों के दुख से मुनाफाखोरों को लाभ कमाने का मौका कैसे दे सकती है। वर्तमान हालात में जब संसाधन की कमी है, अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं हैं, आवश्यक दवा की उपलब्धता तेजी से घट रही है, ऑक्सीजन और वेंटिलेटर तक नहीं मिल रहे, ऐसी स्थिति में सरकार असंवेदनशील फैसला कैसे ले सकती है?

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले भी इस नीति के पुनर्मूल्यांकन की मांग कर चुकी है और आज भी अपनी बात पर कायम है। उन्होंने यह भी कहा कि एक ही कंपनी द्वारा निर्मित टीके की तीन अलग-अलग कीमतें कैसे हो सकती हैं? ऐसा कोई तर्क या औचित्य नहीं है जो लोगों के बीच इस तरह की मनमानी भेदभाव नीति के लिए अनुमति देता है।

इसके अलावा, सोनिया गांधी ने 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी युवाओं को निश्चित रूप से कोरोना वैक्सीन लगाए जाने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि सरकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना हर युवा टीकाकरण में सम्मिलित हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *