जयपुर, 22 अप्रैल (हि.स.)। लॉकडाउन के बावजूद राजस्थान में कोरोना अब नियंत्रण से बहार होता जा रहा है। लॉकडाउन लगने के बाद पांच दिन में ही राज्य में संक्रमण 61 प्रतिशत तक बढ़ गया है। महामारी में होने वाली मौतों का आंकड़ा भी करीब-करीब दोगुना हो गया है।
कोरोना की दूसरी लहर में पूरा सिस्टम हिल गया है। प्रदेश के अस्पतालों के बेड मात्र 10 दिन में ही फुल हो गए हैं। प्रदेश में ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन्स की भारी कमी से रोगियों की जान पर बन आई है। इन गंभीर हालात के बावजूद गहलोत सरकार के मंत्री ऑक्सीजन की सियासत में उलझ रहे हैं। एक तरफ स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा केन्द्र सरकार से ऑक्सीजन का कोटा बढ़ाने के साथ राजस्थान से लोकसभा व राज्यसभा सांसदों से लिक्विड ऑक्सीजन दिलाने के लिए केन्द्र पर दवाब बनाने का आग्रह कर रहे हैं, दूसरी तरफ उन्हीं के सरकार के उद्योग मंत्री परसादीलाल मीणा कह रहे हैं कि राज्य में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है।
ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर सियासत की यह बहस अब उन मरीजों पर भारी पड़ रही है, जो अस्पतालों में कोरोना महामारी की चपेट में आने के बाद जीवन और मृत्यु के बीच का संघर्ष झेल रहे हैं, डॉक्टर और विशेषज्ञों का भी यह कहना है कि गलत आंकड़े और अफवाहें भी रोगी पर कोरोना जैसा ही हमला कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा लगातार बयानों में ऑक्सीजन तथा अन्य चिकित्सा सुविधाओं में कमी के लिए केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। वे केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर राजस्थान के हिस्से की लिक्विड ऑक्सीजन दिलाने की मांग कर चुके हैं, साथ ही राजस्थान से लोकसभा व राज्यसभा सांसदों को पत्र लिखकर राजस्थान को मांग के अनुरूप लिक्विड ऑक्सीजन दिलाने के लिए दवाब बनाने का आग्रह कर चुके है। दूसरी तरफ, उन्हीं की सरकार के उद्योग मंत्री परसादीलाल मीणा कह रहे है कि राज्य में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान को वर्तमान मांग के अनुरूप 250 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है और प्रतिदिन 10 से 12 टन ऑक्सीजन की मांग बढ़ रही है। जबकि, हमें 80 टन लिक्विड ऑक्सीजन भिवाड़ी प्लांट से मिल रही है और उद्योग मंत्री परसादीलाल मीणा के अनुसार इंडस्ट्री के जरिए 180 मीट्रिक टन आक्सीजन पैदा करने की क्षमता है। इन दोनों आंकडों को मिला लें तो कुल 260 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्धता राज्य के पास है तो राज्य को केन्द्र के पास गुहार करने की फिलहाल आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
इधर, राज्य सरकार के लिए सबसे बड़ी समस्या बढ़ता सक्रिय केसों का ग्राफ है। सक्रिय केस अब 96 हजार 366 के आंकड़े पर पहुंच गए हैं। यह एक सप्ताह में 95 फीसदी यानी लगभग दोगुने हो गए हैं। एक सप्ताह में 47 हजार 90 सक्रिय केस बढ़े हैं। इसकी तुलना में रिकवरी बहुत कम है, केवल 18 हजार 78 मरीज ही एक सप्ताह में ठीक हुए हैं। जिस गति से सक्रिय केस बढ़ रहे हैं, गुरुवार को यह एक लाख के पार पहुंच जाएंगे।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां गहलोत सरकार पर कोरोना काल में राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहते हैं- “पिछले वर्ष अस्पताल से मास्क चोरी की तरह पुनः गहलोत सरकार ने कोरोना आपदा को अवसर मान लिया। कभी वैक्सिन चोरी हो रही है, तो कभी कॉन्सट्रेटर टेंडर रद्द किए जा रहे हैं। हर बात पर केंद्र सरकार को नसीहत देने वाले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी मारवाड़ के गांधी से जवाब क्यों नहीं मांगते।” उन्होंने कहा कि “अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए केंद्र सरकार को कोसने वाले मुख्यमंत्री अपनी हर मांग केंद्र से करते हैं, जो पूरी की जाती है, लेकिन एक तरफ उत्तरप्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ हैं, जिन्होंने ना केवल अपराध को नियंत्रित किया है, बल्कि ऑक्सीजन प्लांट को रिकॉर्ड समय में बनवाकर समस्या का भी निदान किया है।”
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने कोरोनाकाल के गंभीर हालात में प्रदेश के अस्पतालों में भेजे जाने वाले 2,000 से अधिक ऑक्सीजन कॉन्स्ट्रेटर का टेंडर रद्द कर दिया है। कॉन्स्ट्रेटर खरीद नहीं होने से कई जिलों में परेशानी हो रही हैं। हालांकि सरकार का तर्क है कि टेंडर नियमानुसार रद्द किया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुन्धरा राजे ने कहा है कि यह ऐसा समय है जब हमें राजनीति नहीं,राज्य नीति पर चलना है। तो आओ साथ चलें। उन्होंने कहा है कि कोविड के कारण देश ही नहीं हमारा प्रदेश भी संकट से गुज़र रहा है। ऐसी स्थिति में डरने की नहीं, सावधानी बरतने की ज़रूरत है। अगर हम स्वेच्छा से घर पर रहते हैं तो इसका फ़ायदा परिवार को ही नहीं पूरे प्रदेश को होगा। मास्क पहनोगे और हाथ धोओगे तो इसका लाभ भी सबको मिलेगा।