पटना, 21 अप्रैल (हि.स.)। राजधानी पटना में जहां लोग ऑक्सीजन की कमी और रेमेडिसविर इंजेक्शन के लिए 10 गुना ज्यादा खर्च कर रहे हैं वहीं, श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए भी लोगों को लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है।
पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) से अपने परिजन का शव लेकर पहुंचा युवक राजीव बांस घाट स्थित शमशान स्थल पर लम्बे समय से बारी का इंतजार कर रहा था। उसने कहा कि बिजली से एक लाश को जलाने में करीब 45 से मिनट से लेकर एक घंटे तक का समय लगता है लेकिन यहां औसतन रोज 35 से 40 लाशें जल रही हैैं। इन श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार को आए मेरे जैसे स्वजनों को टोकन लेने के बाद तीन से पांच घंटे तक इंतजार करना पड़ता है।
उसने कहा कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद बीती रात उसके पड़ोसी की मौत हो गई। सुबह शव को लेकर बांसघाट आने के लिए एंबुलेंस वाले ने दस हजार मांगा। मोल-मोलई करने के बाद आठ हजार में बात बनी। यही हाल लकड़ी ढोने वाले का है। उन्होंने भी लकड़ी के एवज में रुपये लिए तब जाकर लाश का अंतिम संस्कार कर पाया हूं। यहां लकड़ी से लाश को जलाने के लिए 10,500 रुपये का रेट लिस्ट लगा हुआ है।
इस बाबत पटना के नगर निगम आयुक्त आयुक्त हिमांशु शर्मा ने बताया कि पहले केवल बांसघाट स्थित श्मशान स्थल पर ही बिजली से शव को जलाने की व्यवस्था थी, लेकिन कोविड-19 से मौत का आंकड़ा और व्यवस्था को देखते हुए दो अन्य शमशान स्थल पर भी इसकी व्यवस्था कर दी गई है। उन्होंने बताया कि इनमें बास घाट, गुलाबी घाट-महेन्द्रू और खजकला घाट-पटना सीटी पर दो दिन पूर्व ही बिजली से शवों को जलाने की व्यवस्था कर दी गई है। सरकार और प्रशासन लगातार अपना काम कर रही है।
उन्होंने आग्रह किया कि आमजन भी प्रशासन को सहयोग करे। साथ ही कहा कि यहां शमशान घाट जो बिजली से चलित है, उस पर लाश को जलाने के एवज में कोई चार्ज नहीं लिया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि विद्युत शवदाह गृह में दबाव बढ़ने पर दूसरे छोर पर लकड़ी पर शव जलाए जा रहे हैं। यहां दर्जनभर से अधिक एंबुलेंस कतार में खड़ी हैं, जबकि कुछ बाहर हैं। हर एंबुलेंस में कोरोना संक्रमित का शव पड़ा है। सुबह से चिताएं सजाई जा रही हैं और एक चिता ठंडी नहीं पड़ी कि दूसरी जलनी शुरू हो जा रही है।