चीन से सैन्य टकराव बातचीत के जरिए ही सुलझाएंगे: नरवणे

 ​सेना प्रमुख ने माना, चीन के साथ 11वें दौर की सैन्य वार्ता ​रही विफल -गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स, डेप्सांग और डेमचोक से चीन हटने को तैयार नहीं 
नई दिल्ली, 20 अप्रैल (हि.स.)। भारतीय सेना प्रमुख मनोज मुकुंद​​ नरवणे ने एकबार फिर उम्मीद जताई है कि पूर्वी लद्दाख में जारी सैन्य टकराव को भारत और चीन बातचीत के माध्यम से सुलझाएंगे। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, जापान, इंडोनेशिया और सिंगापुर के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ वर्चुअल संगोष्ठी में कहा कि विरासत में मिले मुद्दे और मतभेद आपसी सहमति और बातचीत के माध्यम से हल किये जा सकते हैं न कि एकतरफा कार्रवाइयों से।​ ​भारत अपने सभी पड़ोसियों के साथ शांति और सद्भाव बनाए रखना चाहता है। ​इसके लिए दोनों तरफ से संयुक्त प्रयास​ किये जाने की आवश्यकता है।​​​
सेना प्रमुख ने कहा कि हाल ही में भारत के चीनी राजदूत सुन वेइदोंग ने दोनों देशों के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों के बारे में कहा था कि दोनों देशों को एक-दूसरे को ‘सही ढंग से समझने’ की जरूरत है। किसी भी रणनीतिक गलतफहमी से बचने के लिए बातचीत के माध्यम से आपसी विश्वास बढ़ाएं और सीमा क्षेत्रों में शांति और शांति की संयुक्त रूप से रक्षा करें। जनरल नरवणे ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर दोनों देशों की अलग-अलग धारणाएं हैं। इसके बावजूद इसी साल फरवरी में पैन्गोंग झील के दोनों किनारों पर सैन्य टुकड़ियों का सकारात्मक विस्थापन किया गया है। 
उन्होंने माना कि 09 अप्रैल को हुई कोर कमांडर-स्तरीय 11वें दौर की वार्ता पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ विफल रही है क्योंकि चीन ने एलएसी के अन्य विवादित क्षेत्रों गोगरा, हॉट स्प्रिंग्स, डेप्सांग और डेमचोक में तैनात अपनी सेना को हटाने से साफ इनकार कर दिया है। इसी का नतीजा है कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेप्सांग प्लेन और सीमांत इलाकों में प्रतिद्वंद्वी सेना भारतीय गश्त को रोकने पर अभी भी आमादा हैं। इस डेप्सांग प्लेन में कुल पांच पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 10, 11, 11ए, 12 और 13 हैं जहां चीनी सेना भारतीय सैनिकों को गश्त करने से लगातार रोक रही है। भारत चाहता है कि डेप्सांग के मैदानी इलाके से चीनी सेना वापस अपनी सीमा में जाए और यहां एलएसी दोनों पक्षों के बीच व्यापक रूप से स्पष्ट हो। 
पाकिस्तान के लिए जनरल ​नरवणे ने कहा कि दोनों सेनाओं के बीच हालिया सीमा संघर्ष विराम के कारण पिछले दो महीनों से नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर फायरिंग नहीं हुई है जो द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य के लिए अच्छा संकेत है। भारत ने समय के साथ चीन और पाकिस्तान के साथ दो लंबी अस्थिर सीमाओं पर चुनौतियों का सामना करने और आगे बढ़ने के लिए विभिन्न तंत्र विकसित किए हैं। उन्होंने दोहराया कि ​​भारत अपने सभी पड़ोसियों और क्षेत्र के साथ शांति और सद्भाव बनाए रखना चाहता है। शांति बनाये रखने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। दोनों देशों को नियम-आधारित आदेश को बनाए रखने, अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानदंडों का पालन करने, एक-दूसरे के लिए आपसी सम्मान विकसित करने की आवश्यकता है। 
उन्होंने कहा कि युद्ध के बदलते चरित्र ने दुनिया भर में सशस्त्र बलों के लिए नई चुनौतियां पेश की हैं। हमारा अपना क्षेत्र इस बात का गवाह है कि युद्ध अब परंपरागत तरीकों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि अस्पष्ट तरीके से ग्रे जोन में तेजी से लड़े जा रहे हैं। सेना प्रमुख ने इस बात पर भी चिंता जताई कि भोगौलिक स्थितियां संकुचित की जा रही हैं और भूस्थैतिक वास्तविकताओं को बिना भौतिक लड़ाइयों के बदल दिया जा रहा है। अंतरिक्ष, साइबर और सूचना विज्ञान के नए डोमेन के लिए संघर्ष भी लगातार बढ़ रहे हैं।

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