भाजपा नेता व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री हनुमान मिश्र का निधन, मुख्यमंत्री ने व्यक्त किया शोक

-प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश संगठन महामंत्री ने भी खेद जताते हुए दी भावभीनी श्रद्धांजलि
-एबीवीपी से कैरियर की थी शुरुआत, करीबियों का आवास पर लगा जमावड़ा– क्षेत्रीय मंत्री और महामंत्री से लेकर युवा मोर्चा के रह चुके हैं प्रदेश महामंत्री
कानपुर, 20 अप्रैल (हि.स.)। पूर्व सांसद श्याम बिहारी मिश्रा के भतीजे व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री 55 वर्षीय हनुमान मिश्रा का निधन हो गया। दुखद समाचार सुनते ही करीबियों का उनके आवास पर जमावड़ा लगने लगा और अपने नेता के अलविदा होने से दुख व्यक्त कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने शोक व्यक्त करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ की। बताया जा रहा है कि उनका पार्थिव शरीर लखनऊ से आ रहा है और कोविड नियमों का पालन कर भैरव घाट में अंतिम संस्कार होगा। 

उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव यूनियन लिमिटेड के सभापति व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री हनुमान मिश्र का मंगलवार सुबह निधन हो गया। वह लखनऊ के पीजीआई में भर्ती थे जहां पर किडनी संक्रमण को लेकर उनका इलाज चल रहा था। उनकी मृत्यु की खबर मिलते ही भाजपा परिवार में शोक की लहर दौड़ गई। हनुमान मिश्रा के देहांत की खबर मिलते ही कानपुर के भाजपा कार्यालय में शोक की लहर दौड़ गई है। परिवार को ढांढस बंधाने के लिए पार्टी के कई बड़े पदाधिकारी व कार्यकर्ता कोविड नियमों का पालन करते हुए उनके आवास पर पहुंचे हैं। 
एबीवीपी के कार्यकर्ता ऋतुराज मिश्रा ने बताया कि अभी उनका पार्थिव शरीर लखनऊ से नहीं आया है, पार्थिव शरीर आने के बाद कुछ देर के लिए आवास पर दर्शन के​ लिए रखा जाएगा। इसके बाद भैरव घाट पर अंतिम संस्कार किया जाएगा। बताया कि उनके परिवार में पत्नी अपर्णा मिश्रा, बेटा अविरल मिश्रा, बेटी सौम्या और छवि हैं। बेटा एलएलबी का छात्र है। एबीवीपी से कैरियर की शुरुआत
दर्जा प्राप्त मंत्री हनुमान मिश्रा मूल रुप से कानपुर के आचार्य नगर के रहने वाले थे। उनके चाचा व व्यापारी नेता श्याम बिहारी मिश्रा बिल्हौर लोकसभा सीट से लगातार तीन बार सांसद रह चुके हैं। चाचा के पद चिन्हों पर चलकर हनुमान मिश्रा अपने कैरियर की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से की थी। 
एबीवीपी में प्रांत मंत्री रहते हुए संगठन में बेहतर कार्य होने के चलते भाजपा में उन्हे क्षेत्रीय मंत्री बनाया गया और लगातार सात बार इस पद पर रहे। इसके बाद क्षेत्रीय मंहामंत्री और युवा मोर्चा के प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं। संगठन की जिम्मेदारी संभालने के बाद पार्टी ने उन पर दो बार 2007 और 2012 में सीसामऊ विधानसभा से उम्मीदवार भी बनाया और टक्करी चुनाव लड़ा। 2017 में भी उन्होंने दावेदारी की थी, पर तत्कालीन प्रदेश मंत्री सुरेश अवस्थी पर पार्टी ने दांव लगा दिया, हालांकि वह भी चुनाव नहीं जीत सके। इसके बाद पिछले वर्ष नौ दिसम्बर को उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव यूनियन की प्रबंध समिति का चुनाव जीतकर सभापति बने थे।  

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