फिर बढ़ सकता है गोल्ड हॉलमार्किंग का समय

नई दिल्ली, 19 अप्रैल (हि.स.)। देश में सोने के गहनों की हॉलमार्किंग को एक जून से अनिवार्य भले कर दिया गया है लेकिन देश के हर जिले में अभी तक इसके लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं बन सका है। अभी तक हॉलमार्किंग के सारे इंतजाम भी हर जिले में नहीं हो सके हैं। लिहाजा एक बार फिर हॉलमार्किंग की बाध्यता को कुछ और समय के लिए टालने की मांग शुरू हो गई है। 
केंद्र सरकार के निर्देश के मुताबिक पहले हॉलमार्किंग 1 जनवरी, 2021 से लागू होने वाली थी लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण ज्वेलर एसोसिएशंस की मांग पर इसे अगले 1 जून तक के लिए टाल दिया गया था। इस बीच अब एक बार फिर पुराने आधार यानी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की बात कहकर ही इसे फिर से  टालने की मांग की जा रही है। 
ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वेलरी काउंसिल (जीजेसी) ने केंद्र सरकार के कंज्यूमर अफेयर्स विभाग को एक पत्र भेजकर कहा है कि 1 जून से पूरे देश में सोने के गहनों की हॉलमार्किंग कर पाना संभव नहीं है, क्योंकि पूरे देश में इसके लिए जरूरी साधन विकसित नहीं किए जा सके हैं। साथ ही कोरोना महामारी ने पूरे देश में जोर पकड़ लिया है। ऐसे में हॉलमार्किंग के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्धारत समय में विकास कर पाना काफी मुश्किल है। 
जीजेसी के पत्र में इस बात का दावा किया गया है कि अभी तक देश के 33 फीसदी जिलों में ही हॉलमार्किंग करने के साधनों का विकास हो सका है। संस्था के मुताबिक देश के कुल 773 जिलों में से केवल 245 जिलों में ही सोने के गहनों पर हॉलमार्किंग करने की व्यवस्था हो सकी है। जीजेसी ने ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) से भी अपील की है कि हर जिले में कम से कम एक ऐसेइंग एंड हॉलमार्किंग (एएंडएच) सेंटर जरूर बनाया जाए। ऐसा होने के बाद ही हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया जाए। 
जीजेसी का ये भी कहना है कि हॉलमार्किंग का काम शुरू करने के लिए सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर देने से ही कुछ नहीं होगा बल्कि इसके लिए लोगों को ट्रेनिंग भी देनी होगी। बीआईएस के आंकड़ों के मुताबिक अभी 245 जिलों में कुल 940 एएंडएच सेंटर हैं। इसके अलावा देश के 488 जिलों में यानी देश के 67 फीसदी जिलों में हॉलमार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है जबकि देश भर में बीआईएस के साथ रजिस्टर्ड ज्वेलर्स की संख्या 31585 है। 
जीजेसी ने मंत्रालय को भेजे अपने पत्र में कहा है कि जिन जिलों में हॉलमार्किंग सेंटर हैं, वे भी केवल शहरी क्षेत्रों में ही हैं। हकीकत तो ये है कि देश में केवल 8 फीसदी लोगों तक ही एएंडएच सेंटर की पहुंच है। गांवों में इस सेंटर की पहुंच है ही नहीं। जीजेसी ने दावा किया है कि बिना सारी व्यवस्था किए हॉलमार्किंग शुरू की गई तो कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। इससे गहनों की हॉलमार्किंग का काम तो प्रभावित होगा ही, ज्वेलरी इंडस्ट्री भी प्रभावित होगी। 
ग्राहकों को नकली ज्वेलरी से बचाने और ज्वेलरी के कारोबार की निगरानी करने के लिए हॉलमार्किंग जरूरी है। हॉलमार्किंग का सबसे बड़ा फायदा ये है कि बेचते वक्त आम लोगों को बिना किसी कटौती के सोने की सही कीमत मिल सकेगी। हॉलमार्किंग में सोना कई फेज से गुजरता है। ऐसे में इसकी शुद्धता में गड़बड़ी होने की गुंजाइश नहीं रहती। 
नियमों के मुताबिक हॉलमार्किंग का नियम मान्य हो जाने के बाद दो ग्राम से अधिक वजन वाली ज्वेलरी को बीआईएस से मान्यता प्राप्त सेंटर से जांच करवाकर उस पर संबंधित कैरेट का बीआईएस मार्क लगवाना होगा। ज्वेलरी पर बीआईएस का तिकोना निशान, हॉलमार्किंग केंद्र का लोगो, सोने की शुद्धता लिखी होगी। इसके साथ ही ज्वेलरी कब और किसने बनाई यानी बनाने का साल और ज्वेलर का लोगो भी साथ रहेगा।

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