नई दिल्ली, 17 अप्रैल (हि.स)। जम्मू-कश्मीर में कार्यभार संभालने के बाद जब पहली बार प्रधानमंत्री से मिला तो उन्होंने कहा कि ‘कामकाज में लोगों की भागीदारी जितनी अधिक बढ़ाई जाएगी, शासन उतना ही अच्छा चलेगा।’ उनके इस सुझाव से काम करने में सुविधा हुई है। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने यह बात एक साक्षात्कार में कही।
हिन्दुस्थान समाचार की पाक्षिक पत्रिका ‘यथावत’ से खास बातचीत में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा, “शासन प्रणाली में लोकतंत्र से अच्छी कोई दूसरी व्यवस्था नहीं है। स्वयं प्रधानमंत्री महोदय इसके पक्षधर हैं। जम्मू-कश्मीर में कार्यभार संभालने के बाद जब पहली बार प्रधानमंत्री से मिला तो उन्होंने कहा कि ‘कामकाज में लोगों की भागीदारी जितनी अधिक बढ़ाई जाएगी, शासन उतना ही अच्छा चलेगा।” निजी अनुभव का हवाला देते हुए सिन्हा ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि इसके कारण यहां काम करने में भी सुविधा हुई है।’
जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव से जुड़े सवाल पर सिन्हा ने कहा कि “लोकतंत्र की त्रिस्तरीय प्रणाली जम्मू-कश्मीर में लागू हो गई है। आने वाले समय में हम लोग जिला विकास परिषद का एक बड़ा सम्मेलन करने वाले हैं और जिला विकास योजनाओं की सारी जिम्मेदारी चुने हुए प्रतिनिधियों को देने वाले हैं। यह नई शुरुआत है। मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं कि जनता के चुने हुए प्रतिनिधि विकास की गति को अधिक तेज करेंगे।
उन्होंने आगे कहा कि ‘देश तेज गति से आगे बढ़ रहा है। यहां तक कि पिछड़े राज्यों में भी सड़क, बिजली, पानी आदि की समस्याएं अब खत्म हो रही हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से जम्मू-कश्मीर में मूलभूत नागरिक सुविधाएं पूरी नहीं की जा सकी हैं। अब उन समस्याओं का त्वरित गति से समाधान किया जा रहा है।
बातचीत के क्रम में सिन्हा ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “पीस, प्रोस्पेरिटी, प्रोग्रेस और पीपुल्स यही चार ‘पी’ हैं, जो हमारे एजेंडे के केंद्र बिंदु हैं। चूंकि जम्मू-कश्मीर में अभी चुनी हुई सरकार नहीं है, इसलिए अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आम नागरिकों से मिलें और उनकी समस्या का त्वरित गति से समाधान करें।
भ्रष्टाचार से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि ‘हमारा लक्ष्य स्पष्ट था कि जम्मू-कश्मीर की जनता के हित में एक पारदर्शी और कुशल सरकार देनी है। पीपुल्स सेंट्रिक गवर्नमेंट हमारी प्राथमिकता रही है। मुझे खुशी है कि हमारे वरिष्ठ अधिकारी काफी हद तक इस सांचे में ढले हुए हैं।
रोजगार से जुड़े सवाल पर उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि सरकारी नौकरियों में भर्ती की प्रक्रिया तेज की गई है, लेकिन इससे स्थानीय नौजवानों की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो सकती हैं, इसलिए ‘मिशन यूथ’ नाम से कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसमें पांच से छह क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है और तेजी से काम आगे बढ़ रहा है। हमारी कोशिश है कि स्थानीय नौजवानों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हों। अगले पांच सालों में 75 से 80 प्रतिशत नौजवानों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि ‘फिजिकल कनेक्टिविटी’ के साथ ‘डिजिटल कनेक्टिविटी’ भी अनिवार्य है। इस दिशा में तेजी से कार्य हो रहे हैं। अति शीघ्र हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी जम्मू-कश्मीर के गांव-गांव तक पहुंचे। यहां के सुदूर इलाकों में भी फिजिकल और डिजिटल कनेक्टिविटी प्राप्त हो। यह हमारी प्राथमिकता है।
स्वास्थ्य सेवा के लेकर सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्वास्थ्य सेवा को मजबूत बनाने पर जोर दिया जा रहा है। स्वयं प्रधानमंत्री की पहल पर जम्मू-कश्मीर को सात नए मेडिकल कॉलेज मिले हैं। छोटे राज्य होने के बावजूद दो एम्स बन रहे हैं। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से हुई पूरी बातचीत ‘यथावत’ पत्रिका के आगामी अंक में प्रकाशित होगी।