नई दिल्ली, 17 अप्रैल (हि.स.)। नए वित्त वर्ष की शुरुआत से ही भारतीय शेयर बाजार दबाव में नजर आ रहे हैं। कोरोना संक्रमण की तेज रफ्तार ने बाजार और अर्थव्यवस्था दोनों की गति पर असर डाला है। शेयर बाजार में लिवाली से ज्यादा बिकवाली का जोर बना रहा है। इस बिकवाली में भी बैंकिंग शेयरों पर जबरदस्त असर पड़ा है। सेक्टोरियल इंडेक्स में भी बैंकिंग सेक्टर पर जबरदस्त दबाव बना हुआ साफ साफ नजर आता है। इस दबाव को इस तथ्य से भी समझा जा सकता है कि एनएसई का निफ्टी फरवरी के अपने 15431.75 अंक के टॉप लेवल से अभी तक करीब 5 फीसदी नीचे फिसल चुका है। लेकिन इसी अवधि में बैंक निफ्टी अपने टॉप लेवल 37708.75 से करीब 15 फीसदी का गोता लगा चुका है। बैंकिंग शेयरों पर पड़ी इस मार से सरकारी बैंक सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स फरवरी के अपने टॉप लेवल से अभी तक करीब 23 फीसदी नीचे फिसल चुका है। वहीं निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स में भी 15 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। कैपिटल ग्लोबल रिसर्च के कंट्री हेड संदीप अग्रवाल का कहना है कि बैंकिंग शेयरों के खराब प्रदर्शन की सबसे बड़ी वजह कोरोना का संक्रमण है। खासकर पीएसयू बैंक पर कोरोना के संक्रमण ने सबसे ज्यादा असर डाला है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर के कारण निवेशकों में इस बात का डर बन गया है कि अगर अर्थव्यवस्था की स्थिति डांवाडोल हुई तो कंपनियों और आम कर्जदारों की ओर से बैंकों के कर्ज और ब्याज का समय से भुगतान हो पाएगा या नहीं। क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो बैंकों के एनपीए के बढ़ जाने का खतरा बन जाएगा। आरबीआई के आकलनों के मुताबिक सितंबर 2021 तक देश के बैकिंग सिस्टम का ग्रॉस एनपीए रेश्यो 6 फीसदी की छलांग के साथ 13.5 फीसदी पर पहुंच सकता है। सितंबर 2020 में ग्रॉस एनपीए रेश्यो 7.5 फीसदी था। इसके साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि अगर देश में मैक्रो इकोनॉमी परिस्थितियों में और कमजोरी आती है तो बैंकिंग सिस्टम पर और दबाव बढ़ेगा, तब ग्रॉस एनपीए रेश्यो 14.8 फीसदी तक भी जा सकता है। जानकारों का कहना है कि फिलहाल बैंक निफ्टी का शॉर्ट टर्म आउटलुक डाउन और नेगेटिव बना हुआ है। इसलिए इस बात की भी संभावना दिखती है कि बैंक निफ्टी में एक हल्का पुलबैक दिखे। ऐसा होने पर बैंक निफ्टी 33300 के स्तर के आसपास नजर आ सकता है।
2021-04-17