विश्लेषणः प. बंगाल विस चुनाव का पांचवां चरण

मोहन सिंह
पश्चिम बंगाल में पांचवें चरण का चुनाव जिन विधानसभा सीटों पर हो रहा हैं, उनमें अधिकतर उत्तरी बंगाल और उत्तर चौबीस परगना की सीटें हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को इस क्षेत्र की कई विधानसभा सीटों पर बेहतर चुनावी नतीजे हासिल हुए। अब इन विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर भाजपा के सामने और बेहतर नतीजे हासिल करने की चुनौती है। चौथे चरण में हुई हिंसक घटनाओं के बाद चुनाव आयोग की साख भी दांव पर है। उम्मीद की जा रही है कि चुनाव के इस चरण में चुनाव आयोग की सख्ती और केंद्रीय सुरक्षा बलों की मौजूदगी से चुनावी हिंसा पर कुछ हद तक रोक लगेगी।
शांतिप्रिय बंग समाज चुपचाप इस विधानसभा चुनाव के जरिये हिंसक राजनीति को सार्थक संदेश देने का मन बना चुका है। इसलिए इस चुनाव में ऐसे वोटरों की तादाद जो अमूनन हर चुनाव में दस फीसदी के करीब होती है, बंगाल के इस चुनाव में ऐसे वोटरों की संख्या करीब बीस से बाईस प्रतिशत है। आम चलन में ऐसे वोटरों को चुनाव का माहौल देखकर अपनी राय तय करने वाला वोट समूह माना जाता है। अंग्रेजी में इसे फ्लोटिंग वोट कहा जाता है पर वोट समूह सुविचारित और सुचिंतित तरीके से तय करता है कि किसकी ताजपोशी करनी है और किसे सत्ता से बेदख़ल करना है। भाजपा इस वोटबैंक पर इसबार अपनी दावेदारी कर रही है। तृणमूल कांग्रेस इस वोटबैंक को बंगाली अस्मिता से जोड़कर पहले से अपना मान चुकी है। इस वजह से अपने दस साल के शासनकाल की उपलब्धियों के बजाय ममता बनर्जी मां, माटी, मानुष, महिला और एकमुश्त मुस्लिम वोट पाने के लिए वह सबकुछ कर रही हैं जो वही कर सकती हैं। पर एक बड़े विजन के साथ आमजन के जीवन में खुशहाली लाने की कोई योजना तृणमूल कांग्रेस के एजेंडा में भी नज़र नहीं आती।
शिक्षा, बंगाली संस्कृति एक अहम हिस्सा रहा है। शिक्षा के जरिये रोजगार हासिल करना लगभग हर बंगाली परिवार का सपना भी है। बेरोजगारी यहां पूरे देश के नौजवानों की तरह एक प्रमुख समस्या है और चुनावी मुद्दा भी। इस बाबत ममता बनर्जी के राज में कुछ खास नहीं हो पाया। औद्योगिक विकास के नाम पर कोई नया उद्योग बंगाल में आया नहीं। परंपरागत जूट और पेपर उद्योग सरकारी उपेक्षा के कारण अपनी अंतिम सांसें गिन रहे हैं। हाजीनगर की पेपर मिल और चटकल समेत पूरे बंगाल का जूट उद्योग हर लिहाज से ठप हो चुका है। ऐसे में बंगाल के नौजवानों को रोजगार की तलाश में दिल्ली-गुड़गांव और देश के दूसरे हिस्से में जाना पड़ता है। स्थानीय स्तर पर जो थोड़े रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं, उसमें वाममोर्चा के जमाने से सरेआम भाई-भतीजावाद और तुष्टिकरण के नाम पर नियुक्ति होती है। इस वजह से आशीष वाल्मिकी जैसे इंजीनियरिंग ग्रेजुएट को बंगाल में रोजगार के अवसर उपलब्ध होने की उम्मीद नहीं है।
बाँकुरा जिले के बारहवीं पास बाईस साल के नौजवान कार्तिक पोली को उम्मीद है कि इसबार शायद भाजपा का शासन आने पर स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने का उनका सपना साकार हो।भाजपा इस मुद्दे को लेकर गांव-गांव तक पहुँच रही है। यह वादा कर रही है कि सत्ता हासिल होने के बाद बंगाल के नौजवानों को स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और उन्हें दिल्ली, मुंबई, नोएडा और गुड़गांव जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सोनार बांग्ला बनाने का सपना उस दिशा में काम करेगा।
पश्चिम बंगाल के चुनाव में घुसपैठ और बांग्लादेश से आये मुसलमानों एक बड़ा मुद्दा है। इसके अलावा मतुआ, दलित आदिवासी, राजवंशियों का समाजिक उभार बंगाल के चुनाव में एक नया विमर्श बनकर सामने आया है। इनके सामाजिक उभार में भाजपा की बड़ी भूमिका रही है। भाजपा की कोशिश धार्मिक ध्रुवीकरण के अलावा इन उपजातीय समूहों को साधने की रही है और काफी हद तक इसमें उसे कामयाबी भी मिली है। उत्तर बंगाल, उत्तर चौबीस परगना, पूर्व वर्दवान और नदिया के जिन सीटों पर पांचवें चरण में चुनाव होने जा रहा हैं, वहां दलित आदिवासी वोटरों की अच्छी खासी तादाद है। खास बात यह है कि इस चुनाव के ऐन वक्त आरामबाग से तृणमूल की प्रत्याशी सुजाता मंडल का दलितों को भिखारी कहे जाने की बात को भाजपा ने बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया। वह भी अम्बेडकर जयंती की पूर्व संध्या पर। बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का बंगाल से पुराना राजनीतिक रिश्ता रहा है। बाबा साहेब यहीं से संविधान सभा का चुनाव जीतकर ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन बने।
दार्जलिंग, जलपाईगुड़ी और कलिंगपंग इलाके में गुरंग, भुजेल माँगर, नेवार खासी, राई सुनवार थामी आखा और धीमल को भाजपा ने अपने पक्ष में करने के लिए विशेष प्रावधान करने का आश्वासन भी दिया है। गोरखा मुक्ति आंदोलन के नेता विमल गुरंग इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के साथ हैं पर भाजपा यहां पिछले कई लोकसभा चुनावों से मजबूत स्थिति में रही है। इस विधानसभा चुनाव में फैसला होगा कि तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में कौन किस पर बीस है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *