एयर इंडिया को निजी क्षेत्र में देने की तैयारियां आखिरी दौर में

– एयर इंडिया की बिक्री के लिए फाइनेंशियल बोलियों को आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू– इस साल सितंबर तक एयर इंडिया के सौदे को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद 
नई दिल्ली, 14 अप्रैल (हि.स.)। राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया को निजी क्षेत्र के हाथ हस्तांतरित करने की तैयारियां अब आखिरी स्वरूप लेने लगी हैं। सरकार के विनिवेश कार्यक्रम के तहत एयर इंडिया की बिक्री के लिए फाइनेंशियल बोलियों को आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दावा किया जा रहा है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो इस साल सितंबर तक एयर इंडिया के सौदे को अंतिम रूप दिए जाने की उम्मीद है।
एयर इंडिया को खरीदने में टाटा ग्रुप ने भी रुचि दिखाई है। पिछले साल दिसंबर में एयर इंडिया को खरीदने के लिए लगाई गईं शुरुआती बोलियों में टाटा ग्रुप की बोली भी शामिल थी। एयर इंडिया के विनिवेश कार्यक्रम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक एयर इंडिया के लिए लगाई गई शुरुआती बोलियों का विश्लेषण करने के बाद योग्य बोलीदाताओं को एयर इंडिया के वर्चुअल डेटा रूम (वीडीआर) तक की पहुंच दे दी गई है, जहां निजी क्षेत्र के योग्य निवेशकों को उनके सवालों और अगर कोई आशंका हो तो उसके जवाब दिए जाएंगे। बताया जा रहा है कि एयर इंडिया के विनिवेश का ये सौदा अब फाइनेंशिय बिड के राउंड तक पहुंच गया है। ऐसे में अब सौदे की प्रक्रिया को सितंबर तक निपटा लेने की उम्मीद की जा रही है। 
विनिवेश कार्यक्रम के तहत केंद्र सरकार एयर इंडिया में से अपनी शत प्रतिशत हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को बेच रही है। लंबे समय से घाटे में चल रही ये सरकारी विमानन कंपनी 2007 में डोमेस्टिक ऑपरेटर इंडियन एयरलाइंस के साथ हुए विलय के बाद से ही नुकसान का सामना कर रही है। सरकार इस कर्ज के बोझ से लदी भारी भरकम कंपनी को निजी क्षेत्र के हाथ बेचने की लंबे समय से कोशिश कर रही है। इसके लिए केंद्र सरकार ने एयर इंडिया के लिए प्रारंभिक बोली पेश करने के लिए पांच बार समय सीमा भी बढ़ाई। 
सरकार ने विनिवेश के लिए जो पैकेज और शर्तें रखी हैं, उसके अनुसार एयर इंडिया को खरीदने में सफल रहने वाले बोलीदाता को एयरलाइन के पूरे बेड़े के साथ ही घरेलू हवाई अड्डों के 4400 घरेलू और 1800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट का अधिकार मिलेगा। इसके साथ ही उसे दूसरे देशों में भी कुल 900 पार्किंग स्लॉट का नियंत्रण मिलेगा। एयर इंडिया पर फिलहाल 60 हजार करोड़ रुपये का भारी भरकम बोझ है। इतनी बड़ी देनदारी के कारण इस एयरलाइन का संचालन कर पाना काफी कठिन हो चुका है। पिछले ही महीने सिविल एविएशन मिनिस्टर हरदीप पुरी ने कहा भी था कि कर्ज के बोझ से दबे एयर इंडिया का निजीकरण करने या फिर उसे हमेशा के लिए बंद कर देने के अलावा अब भारत सरकार के पास और कोई रास्ता नहीं बचा है। 

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